झांसी। प्रधानमंत्री नरेन्द मोदी ने 2025 में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती र.अ. के 813वें उर्स के अवसर पर अजमेर शरीफ दरगाह के लिए एक पवित्र चादर भेजी है। जिसके लेकर कुरैश कॉन्फ्रेंस के राष्ट्रीय सचिव मोहम्मद कलाम कुरैशी ने कहा मोदी ने फिरका परस्त ताकतों पर लगाम कसने का काम किया है। यह चादर भारतीय समाज और सांस्कृतिक विविधताओं के बीच भाईचारे, अमन और शांति की भावना को प्रोत्साहित करने का प्रतीक है। प्रधानमंत्री मोदी का यह कदम यह भी दशार्ता है कि उन्होंने अपनी सरकार के कार्यकाल में हमेशा भारतीय समाज की एकता और अखंडता को प्राथमिकता दी है। यह पवित्र चादर अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरण रिज्यूजु और अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी द्वारा दरगाह में पेश की इसके माध्यम से यह संदेश दिया जा रहा है कि भारत की विविधता में एकता ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है, यह धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिकसमृद्धि के प्रतीक है। यह चादर न केवल धार्मिक विश्वास की गहरी आस्था को दशार्ती है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति की उस समृद्ध धारा को भी उजागर करती है, जिसमें हर धर्म, सम्प्रदाय और जाति को एकजुट होकर भारत की सामाजिक और सांस्कृतिक धरोहर को आगे बढ़ाने का प्रयास किया जाता है। प्रधानमंत्री मोदी का यह कदम भारत में धार्मिक समरसता और सामाजिक सौहार्द को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। अजमेर शरीफ दरगाह, जो सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती र.अ.का प्रमुख स्थल है, सदियों से शांति, प्रेम, और भाईचारे का प्रतीक रही है। मोहम्मद कलाम कुरैशी ने कहा इस चादर के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी ने न केवल ख्वाजा गरीब नवाज की शिक्षाओं का सम्मान किया है, बल्कि देशभर में शांति और एकता के संदेश को भी फैलाया है। इस अवसर पर देशवासियों के बीच शांति और भाईचारे की भावना को मजबूत किया जाएगा और यह चादर भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर को सम्मानित करने का एक सुंदर उदाहरण प्रस्तुत करेगी।
