Udaipur files
बॉलीवूड समाचार

विजय राज की ‘उदयपुर फाइल्स’ पर दिल्ली हाईकोर्ट ने क्यों लगाई रोक? जानिए क्या है पूरा विवाद

विजय राज की ‘उदयपुर फाइल्स’ पर दिल्ली हाईकोर्ट ने क्यों लगाई रोक? जानिए क्या है पूरा विवाद

🎬 ‘उदयपुर फाइल्स’ की रिलीज पर हाई कोर्ट की रोक: मामला क्या है?

नई दिल्ली: बॉलीवुड एक्टर विजय राज की बहुचर्चित फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ पर बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। 11 जुलाई को सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही इस फिल्म पर दिल्ली हाई कोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी है। अब फिल्म तय तारीख को रिलीज नहीं हो पाएगी।

कोर्ट की दो सदस्यीय बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा कि जब तक सरकार कोई ठोस फैसला नहीं लेती, तब तक फिल्म को रिलीज नहीं किया जाएगा। इस आदेश के साथ ही कोर्ट ने 7 दिन का समय सरकार को विचार के लिए दिया है।


⚖️ कोर्ट में क्या हुआ?

इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट की जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस अनीश दयाल की बेंच ने की। याचिका जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से दाखिल की गई थी। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि फिल्म का विषय धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला है और इससे समाज में नफरत फैल सकती है

बेंच ने निर्देश दिया कि फिल्म की स्क्रीनिंग पहले याचिकाकर्ता के वकील कपिल सिब्बल को दिखाई जाएगी, ताकि वह तय कर सकें कि फिल्म में क्या आपत्तिजनक है। इसके बाद सरकार को इस मुद्दे पर 7 दिन के भीतर अंतिम निर्णय लेना होगा।


🔪 दर्जी कन्हैयालाल हत्याकांड पर आधारित है फिल्म

फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ की कहानी 2022 में उदयपुर में हुए दर्जी कन्हैयालाल हत्याकांड पर आधारित है, जिसमें एक दर्जी की गला रेतकर निर्मम हत्या कर दी गई थी। सोशल मीडिया पर पोस्ट को लेकर धार्मिक उन्माद में की गई इस हत्या ने देशभर को झकझोर दिया था।

निर्देशक ने दावा किया कि फिल्म का उद्देश्य सच्ची घटना को दिखाना है, जबकि विरोधी पक्ष का कहना है कि फिल्म धार्मिक ध्रुवीकरण और एकतरफा नैरेटिव फैलाने का माध्यम बन सकती है।


📢 याचिका में क्या कहा गया?

जमीयत उलेमा हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि फिल्म का ट्रेलर भी भड़काऊ है और इससे एक विशेष समुदाय को निशाना बनाया गया है। साथ ही यह भी मांग की गई है कि फिल्म के ट्रेलर को सोशल मीडिया से हटाया जाए और फिल्म पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए


😠 क्यों हुआ विवाद?

फिल्म के ट्रेलर रिलीज के बाद से ही विवाद शुरू हो गया था। ट्रेलर में कन्हैयालाल की हत्या के सीन, धार्मिक नारों, और कट्टरता के दृश्य दिखाए गए हैं, जिससे कई समूहों को आपत्ति हुई। उनका कहना है कि इस फिल्म से धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं और इससे समाज में वैमनस्य और तनाव फैल सकता है।

इसके अलावा यह भी तर्क दिया गया कि फिल्म के माध्यम से एकतरफा विचारधारा को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे युवाओं पर गलत प्रभाव पड़ सकता है।


🎞️ विजय राज का पक्ष

फिल्म के मुख्य अभिनेता विजय राज ने पहले ही साफ किया था कि उन्होंने यह फिल्म सामाजिक चेतना के उद्देश्य से की है, न कि किसी समुदाय को निशाना बनाने के लिए। निर्देशक का भी यही कहना रहा है कि फिल्म किसी भी पक्ष की आलोचना नहीं करती, बल्कि सिर्फ घटना को फिल्मी माध्यम से प्रस्तुत करती है।


🕰️ आगे क्या?

दिल्ली हाई कोर्ट के निर्देशानुसार, फिल्म की स्क्रीनिंग पहले याचिकाकर्ता के वकील को दिखाई जाएगी। इसके बाद सरकार को 7 दिनों के भीतर निर्णय लेना होगा कि फिल्म रिलीज की अनुमति दी जाए या नहीं।

इस बीच फिल्म के निर्माता और टीम को फिल्म को किसी भी प्लेटफॉर्म पर रिलीज करने से रोक दिया गया है — चाहे वह थिएटर हो, ओटीटी प्लेटफॉर्म हो या सोशल मीडिया।


‘उदयपुर फाइल्स’ उन फिल्मों की फेहरिस्त में शामिल हो गई है जिन पर रिलीज से पहले ही विवादों की तलवार लटक गई। यह मामला न केवल फिल्म की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़ा है, बल्कि भारत जैसे बहुधार्मिक देश में सामाजिक सौहार्द बनाए रखने की चुनौती से भी जुड़ा है।

अब सभी की निगाहें सरकार के आगामी फैसले पर टिकी हैं — क्या फिल्म रिलीज होगी या फिर यह भी ‘द कश्मीर फाइल्स’ जैसी बहसों का हिस्सा बनकर रह जाएगी?


📝 (डिस्क्लेमर – मनोरंजन खंड हेतु):

यह लेख ‘उदयपुर फाइल्स’ फिल्म से संबंधित खबरों, न्यायालयीय कार्यवाही, और उपलब्ध मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें प्रस्तुत जानकारी मात्र सूचना के उद्देश्य से है। किसी भी निष्कर्ष या राय का उद्देश्य किसी समुदाय, समूह या व्यक्ति को आहत करना नहीं है। कृपया इसे समाचार के रूप में ही लें।

विमल "हिंदुस्तानी"
"लेखक ने दिल्ली एनसीआर के प्रमुख संस्थान से Mass Communication & Journalisam with Advertisment मे दो वर्ष अध्ययन किया है एवं पिछले दस वर्षों से मीडिया जगत से जुड़े हैं। उन्होंने विभिन्न न्यूज़ चैनलों में संवाददाता के रूप में कार्य किया है और एक समाचार पत्र का संपादन, प्रकाशन तथा प्रबंधन भी स्वयं किया है। लेखक की विशेषता यह है कि वे भीड़ के साथ चलने के बजाय ऐसे विषयों को उठाते हैं जो अक्सर अनछुए रह जाते हैं। उनका उद्देश्य लेखनी के माध्यम से भ्रम नहीं, बल्कि ‘ब्रह्म’ – यानि सत्य, सार और सच्चाई – को प्रस्तुत करना है।"