naidu
अंतर्राष्ट्रीय राजनीति समाचार

SIR विवाद: चंद्रबाबू नायडू ने उठाए बड़े सवाल, क्या BJP को चेतावनी दे रही है TDP?

SIR विवाद: चंद्रबाबू नायडू ने उठाए बड़े सवाल, क्या BJP को चेतावनी दे रही है TDP?

क्या वोटर लिस्ट की शुद्धता की आड़ में चल रही है सियासी सफाई?

देशभर में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) अभियान ने अब एक नया राजनीतिक मोड़ ले लिया है। पहले बिहार में उठा विवाद अब आंध्र प्रदेश की सत्तारूढ़ पार्टी तेलुगु देशम पार्टी (TDP) तक पहुंच गया है। और इस बार सवाल सिर्फ वोटर लिस्ट से नाम जोड़ने या हटाने तक सीमित नहीं हैं—बल्कि ये सवाल केंद्र सरकार की मंशा, चुनाव आयोग की निष्पक्षता और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की पारदर्शिता पर उठ रहे हैं।

SIR के बहाने राजनीतिक संदेश?

TDP संसदीय दल के नेता लावु श्रीकृष्ण देवरायलु ने सीधे चुनाव आयोग को पत्र लिखकर पूछा है कि क्या SIR किसी प्रकार की नागरिकता जांच की भूमिका निभा रही है? TDP की आशंका है कि इस अभियान का असली उद्देश्य मतदाता सूची की सफाई नहीं, बल्कि कुछ खास वर्गों को टारगेट करना हो सकता है।

और यही बात इस पूरे मुद्दे को “एक तकनीकी प्रक्रिया से कहीं ज़्यादा” बना देती है।

बिहार से उठी चिंगारी

बिहार में इस अभियान के दौरान 35 लाख नामों को हटाया गया—यह कोई मामूली संख्या नहीं है। खास बात यह है कि ये नाम सीमांचल जैसे संवेदनशील इलाकों से हटाए गए, जहां अल्पसंख्यक समुदाय की आबादी अधिक है। म्यांमार और बांग्लादेश जैसे देशों के नागरिकों की उपस्थिति के आरोपों ने इस प्रक्रिया को और भी पेचीदा बना दिया।

TDP की तकनीकी पहल या सियासी चालाकी?

TDP ने चुनाव आयोग को कई चौंकाने वाले और तकनीकी रूप से सशक्त सुझाव दिए हैं:

  • बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन से लेकर

  • AI आधारित नाम छंटनी,

  • CAG के तहत थर्ड पार्टी ऑडिट,

  • और BLO की रोटेशन पॉलिसी तक,

इन सुझावों से TDP न सिर्फ प्रक्रिया में पारदर्शिता की मांग कर रही है, बल्कि खुद को “तकनीकी रूप से उन्नत और लोकतांत्रिक सोच” वाली पार्टी के रूप में भी प्रोजेक्ट कर रही है।

क्या BJP को संकेत दे रहे हैं नायडू?

TDP केंद्र में मोदी सरकार का सहयोगी है। 16 सांसदों के साथ उनकी भूमिका NDA के लिए बेहद अहम है। ऐसे में SIR जैसे मुद्दे पर TDP का खुलकर बोलना क्या सिर्फ चुनावी पारदर्शिता की चिंता है, या यह BJP को एक सॉफ्ट वॉर्निंग देने का तरीका?

विश्लेषकों का मानना है कि चंद्रबाबू नायडू आने वाले वर्षों की राजनीति में अपनी “स्वायत्त पहचान” को बनाए रखना चाहते हैं—और यह बयान उसी दिशा में पहला कदम हो सकता है।

सुप्रीम कोर्ट की नज़र और अगली चाल

SIR पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। अदालत ने अभी तक प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई है, लेकिन आयोग को आधार, राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों को स्वीकार करने का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई 28 जुलाई को होनी है। इस दौरान चुनाव आयोग को जनता और अदालत दोनों को यह समझाना होगा कि SIR कोई ‘सॉफ्ट NRC’ नहीं है।

 ये सिर्फ वोटर लिस्ट नहीं, लोकतंत्र की विश्वसनीयता का सवाल है

TDP द्वारा उठाए गए सवाल सिर्फ एक क्षेत्रीय पार्टी की चिंता नहीं हैं। यह देश के उस नागरिक के लिए भी चिंता की बात है जो हर 5 साल में अपनी वोट की ताकत से सत्ता चुनता है।

अगर मतदाता सूची ही संदेहास्पद हो जाए, तो लोकतंत्र की सबसे बुनियादी ईंट हिल सकती है।

इसलिए अब बारी चुनाव आयोग की है कि वह पूरी पारदर्शिता के साथ जनता और पार्टियों के सवालों का जवाब दे—क्योंकि इस मुद्दे पर चुप्पी, किसी भी लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा होती है।


विमल "हिंदुस्तानी"
"लेखक ने दिल्ली एनसीआर के प्रमुख संस्थान से Mass Communication & Journalisam with Advertisment मे दो वर्ष अध्ययन किया है एवं पिछले दस वर्षों से मीडिया जगत से जुड़े हैं। उन्होंने विभिन्न न्यूज़ चैनलों में संवाददाता के रूप में कार्य किया है और एक समाचार पत्र का संपादन, प्रकाशन तथा प्रबंधन भी स्वयं किया है। लेखक की विशेषता यह है कि वे भीड़ के साथ चलने के बजाय ऐसे विषयों को उठाते हैं जो अक्सर अनछुए रह जाते हैं। उनका उद्देश्य लेखनी के माध्यम से भ्रम नहीं, बल्कि ‘ब्रह्म’ – यानि सत्य, सार और सच्चाई – को प्रस्तुत करना है।"