सूतक काल क्यों माना जाता है अशुद्ध
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सूतक काल: क्यों मानी जाती है यह अवधि अशुद्ध और क्या है इसका वास्तविक महत्व? | TV10 Network

📜 सूतक काल: क्यों मानी जाती है यह अवधि अशुद्ध और क्या है इसका वास्तविक महत्व?

जब-जब सूर्य या चंद्र ग्रहण आसमान में अपनी छाया फैलाते हैं, तब-तब एक रहस्यमयी और अनुशासनपूर्ण अवधि हमारे धार्मिक जीवन में प्रवेश करती है — जिसे हम सूतक काल के नाम से जानते हैं। यह कोई केवल परंपरा नहीं, बल्कि समय, ऊर्जा और चेतना से जुड़ा एक सूक्ष्म अनुशासन है, जिसका पालन आज भी श्रद्धा और नियमों के साथ किया जाता है।


☀️ सूतक काल क्या होता है?

सूतक काल ग्रहण से पहले की वह अवधि है, जिसे शास्त्रों में अशुद्ध, अशुभ और वर्जित समय के रूप में माना गया है। यह समय किसी भी शुभ कार्य, पूजा-पाठ, भोजन या दान-पुण्य के लिए वर्जित होता है। सूर्य ग्रहण के 12 घंटे पहले और चंद्र ग्रहण के 9 घंटे पहले सूतक प्रारंभ हो जाता है, जो ग्रहण की समाप्ति तक प्रभावी रहता है। जैसे ही ग्रहण खत्म होता है, सूतक भी स्वत: समाप्त हो जाता है।


🪔 धार्मिक दृष्टिकोण: क्यों नहीं होते पूजा-पाठ?

पुराणों के अनुसार, ग्रहण के समय देवगण भी पीड़ा में होते हैं, इसलिए मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और पूजा निषिद्ध हो जाती है। सूतक में पूजा न करना, न केवल देवताओं के सम्मान का प्रतीक है, बल्कि स्वयं की ऊर्जा की शुद्धता को बनाए रखने का भी माध्यम है। यह समय स्वयं में लौटने, ध्यान, मौन और आत्म-चिंतन के लिए सबसे उपयुक्त माना गया है।


🔮 ज्योतिषीय दृष्टिकोण: कैसे पड़ता है राशियों पर प्रभाव?

ज्योतिष में ग्रहण एक ग्रहों की विशेष खगोलीय स्थिति होती है, जो पृथ्वी, मनुष्य और राशियों पर प्रत्यक्ष प्रभाव डालती है। ग्रहण और सूतक के समय राहु-केतु की छाया सक्रिय रहती है, जो मानसिक और शारीरिक असंतुलन को जन्म दे सकती है। इसीलिए सूतक में साधक, गृहस्थ और गर्भवती महिलाएं विशेष सावधानी बरतती हैं।


🧬 वैज्ञानिक दृष्टिकोण: क्या है इस परंपरा का वैज्ञानिक आधार?

आधुनिक विज्ञान भी इस प्राचीन मान्यता को पूरी तरह नकारता नहीं है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्रहण के दौरान सूर्य या चंद्रमा की किरणों में विकिरण (Radiation) का स्तर बदल जाता है, जिससे बैक्टीरिया और सूक्ष्म जीवाणुओं की वृद्धि होती है। इसलिए भोजन को दूषित होने से बचाने के लिए उसमें तुलसी के पत्ते डालने की परंपरा बनी। यही कारण है कि ग्रहण के दौरान भोजन पकाना, खाना और जल ग्रहण करना निषेध है।


🤰 गर्भवती महिलाओं के लिए क्यों होता है खास?

गर्भवती महिलाओं को ग्रहण और सूतक के समय विशेष सावधानी रखनी होती है। उन्हें चाकू, कैंची या कोई नुकीली वस्तु उपयोग नहीं करनी चाहिए, बाहर नहीं निकलना चाहिए और सूर्य/चंद्र दर्शन नहीं करना चाहिए। यह सब इसलिए ताकि गर्भस्थ शिशु पर नकारात्मक विकिरण का प्रभाव न पड़े।


📅 सूतक काल की गणना कैसे होती है?

सूतक कब लगेगा यह ग्रहण की तिथि और समय के आधार पर तय किया जाता है।

  • सूर्य ग्रहण: 12 घंटे पूर्व से सूतक

  • चंद्र ग्रहण: 9 घंटे पूर्व से सूतक
    जैसे ही ग्रहण समाप्त होता है, उसी क्षण सूतक की समाप्ति मानी जाती है।


🕯️ सूतक का पालन क्यों ज़रूरी?

सूतक काल का पालन केवल परंपरा नहीं, बल्कि यह स्वयं को प्राकृतिक ऊर्जा, आत्मिक पवित्रता और सामाजिक अनुशासन से जोड़ने का मार्ग है। यह समय हमें बाहरी गतिविधियों से हटाकर आत्म चिंतन, मौन साधना और अंतरात्मा से जुड़ने का अवसर देता है। साथ ही संक्रमण और मानसिक असंतुलन से बचाव भी करता है।


सूतक काल कोई अंधविश्वास नहीं, बल्कि हमारी धार्मिक चेतना और स्वास्थ्य रक्षा की अद्भुत व्यवस्था है। यह समय हमें प्रकृति की गोद में लौटने, चेतना के साथ तालमेल बिठाने और आंतरिक शक्ति को जागृत करने का संदेश देता है। जब तक यह अनुशासन केवल शास्त्र नहीं, आत्मस्वीकृति बन जाएगा, तब तक ग्रहण केवल खगोलीय घटना नहीं, आत्मिक जागरण भी बन सकता है।


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(डिसक्लेमर/अस्वीकरण)

यह लेख धार्मिक और पौराणिक ग्रंथों, ज्योतिषीय तथ्यों और परंपराओं पर आधारित है। इसमें दी गई जानकारियों का उद्देश्य केवल सूचना प्रदान करना है। किसी भी स्वास्थ्य, धार्मिक या सामाजिक निर्णय से पहले विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें। लेख में दी गई सूचनाओं का कोई भी उपयोग पाठक की व्यक्तिगत जिम्मेदारी पर निर्भर करता है।

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