शशि थरूर ने कहा – मेरी प्राथमिकता देश है, न कि पार्टी
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देश पहले, पार्टी बाद में: शशि थरूर बोले – “मैं अपनी बात पर अड़ा हूं, क्योंकि यही राष्ट्रहित में है”

✒️ देश पहले, पार्टी बाद में : राजनीति से ऊपर राष्ट्रधर्म

भारतीय राजनीति में जब भी वैचारिक स्पष्टता और देशभक्ति की बात होती है, तो कांग्रेस सांसद डॉ. शशि थरूर का नाम अक्सर सामने आता है। हाल ही में एक कार्यक्रम में थरूर ने कहा, “देश हमेशा पार्टी से पहले आता है।” यह बयान ऐसे समय में आया है जब विभिन्न राजनीतिक दलों की विचारधारा और देशहित के मुद्दों पर मतभेद स्पष्ट नजर आते हैं।


🗣️ “मैं अपनी बात पर अड़ा रहूंगा” – थरूर

तिरुवनंतपुरम से सांसद और कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) के सदस्य डॉ. शशि थरूर ने ‘शांति, सद्भाव और राष्ट्रीय विकास’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए साफ किया कि उनकी पहली निष्ठा हमेशा देश के प्रति रही है।

“बहुत से लोग मेरे आलोचक हैं क्योंकि मैंने सरकार और सशस्त्र बलों का समर्थन किया है। लेकिन मैं अपनी बात पर अड़ा रहूंगा क्योंकि यह देशहित में है।” — शशि थरूर

उन्होंने कहा कि उनका मकसद राजनीति के माध्यम से और उससे बाहर भी हर संभव तरीके से राष्ट्र की सेवा करना है।


🇮🇳 पार्टी का मकसद: राष्ट्र निर्माण का माध्यम

थरूर ने कहा कि कोई भी राजनीतिक पार्टी स्वतंत्र लक्ष्य नहीं है, बल्कि वह केवल एक माध्यम है एक बेहतर भारत के निर्माण के लिए। उन्होंने कहा कि राजनीति भले ही मतभेदों से भरी हो, लेकिन अंतिम उद्देश्य राष्ट्रहित होना चाहिए।

“आपकी पहली निष्ठा किसके प्रति है? मेरे विचार से, देश सर्वप्रथम है। पार्टियां राष्ट्र को बेहतर बनाने का माध्यम हैं।” — शशि थरूर


🛡️ सेना और सरकार का समर्थन क्यों?

जब भारत की सीमाओं पर तनाव की स्थिति बनी रहती है, तब थरूर ने बार-बार सशस्त्र बलों के साथ खड़े रहने की बात की है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि “देश की सुरक्षा और एकता सर्वोपरि है और उसमें किसी भी तरह की राजनीति नहीं होनी चाहिए।”

उन्होंने कहा कि जब देश की सीमाओं पर खतरा हो, तब राष्ट्रहित में एकजुटता दिखाना जरूरी है, भले ही वह किसी भी पार्टी से हों।


🎯 राजनीति नहीं, विचारों का मंच था यह

जब कार्यक्रम के बाद पत्रकारों ने थरूर से कांग्रेस आलाकमान और उनकी आलोचनाओं के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा कि वह यहां किसी राजनीतिक विवाद पर चर्चा करने नहीं आए हैं।

“मैं यहां दो भाषण देने आया हूं, जिनका उद्देश्य लोगों में जागरूकता, शांति और विकास के प्रति भाव पैदा करना था।”

उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्होंने जिन विषयों पर बात की वे धार्मिक सद्भाव, समरसता और समावेशिता पर आधारित थे।


🧠 विश्लेषण: थरूर की राजनीति या राष्ट्रनीति?

शशि थरूर के इस बयान को भारतीय राजनीति में एक नैतिक संकेत के रूप में देखा जा रहा है। यह बताता है कि राजनीति करने के साथ-साथ राष्ट्रधर्म निभाना कितना आवश्यक है। उनकी सोच उन नेताओं के लिए प्रेरणा बन सकती है जो दलगत राजनीति से ऊपर उठकर देश के हित में काम करना चाहते हैं।


जब बात देश की हो, तो दल भुलाना जरूरी

शशि थरूर ने जिस स्पष्टता से “देश पहले, पार्टी बाद में” का संदेश दिया है, वह आज के राजनीतिक परिदृश्य में एक जरूरी हस्तक्षेप है। उनका रुख यह दर्शाता है कि भले ही विचारधारा में मतभेद हों, लेकिन राष्ट्रहित में एकजुटता सबसे बड़ा धर्म है


📢 (डिस्क्लेमर)

यह लेख उपलब्ध भाषणों, साक्षात्कारों और समाचार स्रोतों पर आधारित है। प्रस्तुत विचार वक्ता के निजी विचार हैं। tvtennetwork.com इन विचारों की सत्यता या राजनीतिक रुख की पुष्टि नहीं करता। हमारा उद्देश्य केवल जानकारी देना है।

विमल "हिंदुस्तानी"
"लेखक ने दिल्ली एनसीआर के प्रमुख संस्थान से Mass Communication & Journalisam with Advertisment मे दो वर्ष अध्ययन किया है एवं पिछले दस वर्षों से मीडिया जगत से जुड़े हैं। उन्होंने विभिन्न न्यूज़ चैनलों में संवाददाता के रूप में कार्य किया है और एक समाचार पत्र का संपादन, प्रकाशन तथा प्रबंधन भी स्वयं किया है। लेखक की विशेषता यह है कि वे भीड़ के साथ चलने के बजाय ऐसे विषयों को उठाते हैं जो अक्सर अनछुए रह जाते हैं। उनका उद्देश्य लेखनी के माध्यम से भ्रम नहीं, बल्कि ‘ब्रह्म’ – यानि सत्य, सार और सच्चाई – को प्रस्तुत करना है।"