PVR-INox
बॉलीवूड छोटा पर्दा

PVR‑INOX का क्लासिक फ़िल्मों पर बड़ा दांव

🎥 1. PVR‑INOX का क्लासिक फ़िल्मों पर बड़ा दांव

🎬 रणनीति : पुराने खज़ानों की वापसी

कोविड के बाद का दौर थिएटर इंडस्ट्री के लिए चुनौतीपूर्ण रहा है। नई फिल्मों की अनिश्चित सफलता और दर्शकों की बदलती प्राथमिकताओं के बीच PVR‑INOX ने एक नई रणनीति अपनाई है—पुरानी, क्लासिक फिल्मों की री‑रिलीज़। इस प्रयोग ने न सिर्फ थिएटरों की खाली सीटों को भरा, बल्कि दर्शकों को भी नॉस्टैल्जिया से जोड़ दिया।

वित्त वर्ष 2024-25 में करीब 287 क्लासिक फिल्मों को फिर से सिनेमाघरों में उतारा गया। इन फिल्मों ने करीब 124 करोड़ रुपये का कारोबार किया और 70 लाख से अधिक टिकट बिके। यह कुल बॉक्स ऑफिस कलेक्शन का लगभग 8.5% रहा, जो इस बात का प्रमाण है कि दर्शकों को आज भी पुरानी फिल्मों से लगाव है।

🌟 क्यों कारगर है यह रणनीति?

क्लासिक फिल्मों की री‑रिलीज़ से थिएटरों को कई लाभ हुए:

  • नई फिल्मों के कमज़ोर प्रदर्शन की भरपाई।

  • वीकडे स्लॉट्स का बेहतर उपयोग।

  • बजट में कमी के बावजूद बेहतर व्यस्तता।

  • मेट्रो शहरों में दर्शकों की स्थिर वापसी।

‘उमराव जान’ जैसी फिल्मों को 4K फॉर्मेट में फिर से रिलीज़ करना दर्शकों के लिए एक नया अनुभव साबित हुआ। साथ ही, ‘शोले’, ‘मुगल‑ए‑आज़म’, ‘दीवार’ जैसी फिल्मों को भी दोबारा स्क्रीन पर लाने की योजना है।

💰 आर्थिक पहलू

हालांकि कंपनी ने वर्ष की अंतिम तिमाही में 1285 करोड़ का राजस्व अर्जित किया, फिर भी 106 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया गया। नई फिल्मों के कमजोर कंटेंट और एफ एंड बी (फूड और बेवरेज) रेवेन्यू में गिरावट इसके कारण रहे। ऐसे में क्लासिक फिल्मों की वापसी ने राजस्व में स्थिरता प्रदान की।

🧠 भविष्य की योजना

  • छोटे शहरों में फ्रैंचाइज़ मॉडल की टेस्टिंग।

  • ऑनलाइन ऐप्स से जुड़ाव और टिकट बिक्री को प्रोत्साहित करना।

  • दर्शकों को थिएटर में लौटाने के लिए मूल्य आधारित ऑफर।


विमल "हिंदुस्तानी"
"लेखक ने दिल्ली एनसीआर के प्रमुख संस्थान से Mass Communication & Journalisam with Advertisment मे दो वर्ष अध्ययन किया है एवं पिछले दस वर्षों से मीडिया जगत से जुड़े हैं। उन्होंने विभिन्न न्यूज़ चैनलों में संवाददाता के रूप में कार्य किया है और एक समाचार पत्र का संपादन, प्रकाशन तथा प्रबंधन भी स्वयं किया है। लेखक की विशेषता यह है कि वे भीड़ के साथ चलने के बजाय ऐसे विषयों को उठाते हैं जो अक्सर अनछुए रह जाते हैं। उनका उद्देश्य लेखनी के माध्यम से भ्रम नहीं, बल्कि ‘ब्रह्म’ – यानि सत्य, सार और सच्चाई – को प्रस्तुत करना है।"