अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड कितने हानिकारक हैं
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सेहत के लिए कितना खतरनाक है प्रोसेस्ड फूड? जानिए विज्ञान क्या कहता है

सेहत के लिए कितना खतरनाक है प्रोसेस्ड फूड? जानिए विज्ञान क्या कहता है

आज के दौर में हमारी थाली में जो कुछ भी परोसा जाता है, उसमें से ज्यादातर खाद्य पदार्थ किसी न किसी स्तर पर प्रोसेस किए गए होते हैं। लेकिन क्या यह प्रोसेसिंग हमारी सेहत पर नकारात्मक प्रभाव डालती है? क्या प्रोसेस्ड फूड खाने से मोटापा, हृदय रोग और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं? आइए जानते हैं इस विषय पर विस्तार से।


प्रोसेस्ड फूड क्या है?

प्रोसेस्ड फूड यानी ऐसे खाद्य पदार्थ जिन्हें प्राकृतिक अवस्था से हटाकर संरक्षित, बदला या लंबे समय तक टिकाऊ बनाने के लिए तकनीकी प्रक्रियाओं से गुजारा गया हो। उदाहरण के लिए:

  • दूध को पाश्चराइज करना

  • फलों का जूस बनाकर बोतल में बंद करना

  • अनाज से ब्रेड बनाना

  • रंग, स्वाद या विटामिन मिलाना

तकनीकी रूप से देखा जाए तो ताजा ब्रेड, पनीर या दही भी प्रोसेस्ड फूड की श्रेणी में आते हैं। लेकिन सब प्रोसेस्ड फूड हानिकारक नहीं होते।


कितना नुकसानदायक होता है प्रोसेस्ड फूड?

यह इस बात पर निर्भर करता है कि खाद्य पदार्थ कितना और किस प्रकार प्रोसेस किया गया है। ब्रिटिश जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड में औसतन चार गुना ज्यादा कैलोरी होती है। उदाहरण के लिए:

  • अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड: 378 कैलोरी प्रति 100 ग्राम

  • सामान्य प्रोसेस्ड फूड: 94 कैलोरी प्रति 100 ग्राम

इससे यह स्पष्ट होता है कि अत्यधिक प्रोसेसिंग से खाद्य पदार्थों में कैलोरी तो बढ़ती है, लेकिन पोषण कम हो सकता है।


प्रोसेस्ड फूड के उदाहरण

कुछ आम अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड हैं:

  • रेडी-टू-ईट फूड

  • पैकेटबंद चिप्स, बिस्किट, कुकीज

  • डिब्बाबंद मिठाइयाँ और चॉकलेट

  • फ्रोज़न पिज्जा और डोनट्स

इनमें अक्सर उच्च मात्रा में वसा, नमक, शक्कर और कृत्रिम रसायन पाए जाते हैं।


प्रोसेस्ड फूड से होने वाले संभावित नुकसान

  1. मोटापा और वजन बढ़ना:
    उच्च कैलोरी, कम फाइबर और ज्यादा रिफाइंड शुगर के कारण वजन बढ़ता है।

  2. दिल की बीमारियां:
    संतृप्त वसा और ट्रांस फैट हृदय पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।

  3. कैंसर का खतरा:
    कुछ रिसर्च बताती हैं कि प्रोसेस्ड मीट और अत्यधिक प्रोसेस्ड फूड कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।

  4. पोषण की कमी:
    विटामिन A, C, D, E और B12 जैसे आवश्यक पोषक तत्व कम हो जाते हैं।

  5. मानसिक स्वास्थ्य पर असर:
    प्रोसेस्ड फूड की लत लगना आम बात है, जिससे मूड स्विंग्स, चिड़चिड़ापन और डिप्रेशन हो सकता है।


प्रोसेस्ड फूड के फायदे भी हैं – लेकिन सीमित रूप में

कुछ प्रोसेस्ड फूड स्वास्थ्यवर्धक भी हो सकते हैं, जैसे:

  • फाइबर युक्त अनाज

  • प्लांट-बेस्ड मिल्क

  • पैकेटबंद सैंडविच (अगर सामग्री संतुलित हो)

इन खाद्य पदार्थों में पोषक तत्व हो सकते हैं, लेकिन इनका सेवन भी सीमित मात्रा में करना बेहतर है।


विशेषज्ञों की राय

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक नेरीस एस्टबरी के अनुसार, प्रोसेस्ड फूड के सेहत पर प्रभाव को केवल इस आधार पर नहीं तय किया जा सकता कि वह कितनी प्रोसेसिंग से गुजरा है। इसके अलावा उसमें मौजूद पोषक तत्व, कैलोरी और हमारे खाने की आदतें भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

किंग्स कॉलेज लंदन के प्रोफेसर थॉमस सैंडर्स मानते हैं कि प्रोसेस्ड फूड की हर श्रेणी को एक ही नजर से देखना सही नहीं होगा। अध्ययन सीमित हैं और हर फूड आइटम अलग तरह का होता है।


क्या करें? कौन-से विकल्प चुनें?

  • ताजे फल, सब्जियां और साबुत अनाज को प्राथमिकता दें

  • प्रोसेस्ड फूड ले रहे हैं तो लेबल ध्यान से पढ़ें

  • शक्कर, नमक और वसा की मात्रा देखें

  • अत्यधिक प्रोसेस्ड फूड जैसे इंस्टेंट नूडल्स, बेक्ड डेसर्ट्स, चिप्स को सीमित करें

  • घर का बना भोजन सबसे अच्छा विकल्प है


हर प्रोसेस्ड फूड से डरने की ज़रूरत नहीं, लेकिन अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड से सावधान रहने की आवश्यकता जरूर है। इनका सेवन सीमित करें और संतुलित आहार अपनाएं। सही जानकारी और सजगता से हम अपने स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं।


(स्वास्थ्य संबंधी अस्वीकरण)

इस लेख में दी गई जानकारी विभिन्न मेडिकल और न्यूट्रिशन स्रोतों पर आधारित है। यह किसी चिकित्सकीय सलाह का विकल्प नहीं है। स्वास्थ्य संबंधी कोई भी निर्णय लेने से पहले अपने डॉक्टर या विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें। TV10 नेटवर्क इस जानकारी की पूर्ण सटीकता या प्रभाव की गारंटी नहीं देता।


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विमल "हिंदुस्तानी"
"लेखक ने दिल्ली एनसीआर के प्रमुख संस्थान से Mass Communication & Journalisam with Advertisment मे दो वर्ष अध्ययन किया है एवं पिछले दस वर्षों से मीडिया जगत से जुड़े हैं। उन्होंने विभिन्न न्यूज़ चैनलों में संवाददाता के रूप में कार्य किया है और एक समाचार पत्र का संपादन, प्रकाशन तथा प्रबंधन भी स्वयं किया है। लेखक की विशेषता यह है कि वे भीड़ के साथ चलने के बजाय ऐसे विषयों को उठाते हैं जो अक्सर अनछुए रह जाते हैं। उनका उद्देश्य लेखनी के माध्यम से भ्रम नहीं, बल्कि ‘ब्रह्म’ – यानि सत्य, सार और सच्चाई – को प्रस्तुत करना है।"