सावन सोमवार 2025 मुहूर्त
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Pehla Sawan Somwar Kab Hai 2025: 14 जुलाई को पहला सावन सोमवार, बन रहे हैं दुर्लभ 5 योग, जानिए रुद्राभिषेक का शुभ मुहूर्त और महत्व

Pehla Sawan Somwar Kab Hai 2025: 14 जुलाई को पहला सावन सोमवार, बन रहे हैं दुर्लभ 5 योग, जानिए रुद्राभिषेक का शुभ मुहूर्त और महत्व

🌿 श्रावण मास: शिवभक्ति का परम पर्व

श्रावण मास हिन्दू धर्म का सबसे पवित्र महीना माना जाता है, जो पूरी तरह भगवान भोलेनाथ को समर्पित होता है। इस माह में भक्तगण व्रत, पूजा, अभिषेक और रुद्रपाठ कर भगवान शिव को प्रसन्न करते हैं। कहते हैं सावन में शिव एक साधारण पुकार से भी प्रसन्न हो जाते हैं।

इस महीने का विशेष आकर्षण होता है ‘सावन सोमवार व्रत’। विशेष रूप से कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति के लिए और विवाहित स्त्रियाँ अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं।


📅 पहला सावन सोमवार 2025 में कब है?

2025 में श्रावण मास की शुरुआत 11 जुलाई (शुक्रवार) से हो रही है और पहला सावन सोमवार 14 जुलाई 2025 को पड़ेगा। इस दिन भक्त शिवालयों में दर्शन करने, जल चढ़ाने, रुद्राभिषेक करने और व्रत रखने के लिए उमड़ते हैं।

इस वर्ष कुल 4 सावन सोमवार होंगे:

  1. 14 जुलाई

  2. 21 जुलाई

  3. 28 जुलाई

  4. 4 अगस्त


🌟 14 जुलाई को बन रहे हैं ये 5 विशेष शुभ योग

इस सावन सोमवार की विशेषता सिर्फ इतना नहीं कि ये पहला सोमवार है, बल्कि इस दिन 5 बेहद शुभ संयोग बन रहे हैं जो इस दिन को और भी शक्तिशाली और पूजनीय बना रहे हैं:

1. आयुष्मान योग (सुबह से शाम 4:14 तक)

इस योग में की गई उपासना से जीवन में दीर्घायु, आरोग्यता और समृद्धि आती है। आयुष्मान योग शिवभक्ति के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।

2. सौभाग्य योग (शाम 4:14 के बाद)

शाम को आरंभ होने वाला यह योग विशेष रूप से स्त्रियों के लिए शुभ होता है। यह योग विवाह, संतान सुख और दांपत्य जीवन की बाधाओं को दूर करता है।

3. गजानन संकष्टी चतुर्थी

यह दिन चतुर्थी तिथि होने के कारण गणेश पूजन के लिए भी महत्वपूर्ण है। गणेश जी सभी विघ्नों का नाश करते हैं, और शिव परिवार के इस पुत्र की पूजा करने से मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं।

4. धनिष्ठा नक्षत्र (सुबह 6:49 तक)

धन और वैभव से जुड़ा यह नक्षत्र शिव आराधना में विशेष महत्व रखता है। इसके बाद शतभिषा नक्षत्र शुरू होता है जो ध्यान, साधना और मनोबल की वृद्धि का सूचक है।

5. रुद्राभिषेक हेतु उत्तम तिथि

इस दिन भगवान शिव की पूजा और रुद्राभिषेक करने से विशेष पुण्य फल की प्राप्ति होती है। यह दिन ‘कैलाशवासी शिव’ की आराधना के लिए अत्यंत शुभ है।


🕓 शुभ मुहूर्त और जलाभिषेक का सही समय

🔱 प्रमुख मुहूर्त:

  • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:11 बजे से 04:52 बजे तक

  • सूर्योदय: सुबह 05:33 बजे

  • अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:59 से 12:55 तक

  • निशिता काल पूजा: रात 12:07 से 12:48 तक

  • जलाभिषेक का श्रेष्ठ समय: सूर्योदय से दोपहर 12 बजे तक

🌼 सावधान रहें: शिव को जल चढ़ाने का उत्तम समय सुबह होता है। सूर्यास्त के बाद जल न चढ़ाएं।


🧘‍♀️ सावन सोमवार व्रत की विधि

  1. प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

  2. शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, शहद, बेलपत्र, धतूरा, भस्म, शमीपत्र अर्पण करें।

  3. “ॐ नमः शिवाय” या “महामृत्युंजय मंत्र” का जाप कम से कम 108 बार करें।

  4. शिव चालीसा और शिवाष्टक का पाठ करें।

  5. दिन भर व्रत रखें और शाम को फलाहार करें।

  6. रात्रि में शिव महिमा की कथा और भजन सुनें।


🙏 सावन सोमवार का धार्मिक महत्व

शास्त्रों में कहा गया है—
“सावन का एक सोमवार, सौ वर्षों के पुण्य के बराबर होता है।”

इस व्रत से कुंवारी कन्याओं को योग्य वर की प्राप्ति होती है और विवाह बाधाएं दूर होती हैं। विवाहित स्त्रियाँ अखंड सौभाग्य के लिए व्रत रखती हैं। पुरुष भी इस दिन व्रत रखकर शिव कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

भक्तों का मानना है कि सावन सोमवार की पूजा से शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं और वे हर संकट से मुक्ति दिलाते हैं।


14 जुलाई 2025 का पहला सावन सोमवार केवल तिथि नहीं, बल्कि एक दिव्य अवसर है, जब आस्था, श्रद्धा और संयोगों का अद्भुत संगम होता है। यदि आप शिवभक्ति में डूबना चाहते हैं, तो इस दिन व्रत, रुद्राभिषेक और महामृत्युंजय जाप अवश्य करें। आपके जीवन में निश्चित ही सकारात्मक परिवर्तन आएगा।

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विमल "हिंदुस्तानी"
"लेखक ने दिल्ली एनसीआर के प्रमुख संस्थान से Mass Communication & Journalisam with Advertisment मे दो वर्ष अध्ययन किया है एवं पिछले दस वर्षों से मीडिया जगत से जुड़े हैं। उन्होंने विभिन्न न्यूज़ चैनलों में संवाददाता के रूप में कार्य किया है और एक समाचार पत्र का संपादन, प्रकाशन तथा प्रबंधन भी स्वयं किया है। लेखक की विशेषता यह है कि वे भीड़ के साथ चलने के बजाय ऐसे विषयों को उठाते हैं जो अक्सर अनछुए रह जाते हैं। उनका उद्देश्य लेखनी के माध्यम से भ्रम नहीं, बल्कि ‘ब्रह्म’ – यानि सत्य, सार और सच्चाई – को प्रस्तुत करना है।"