🕵️♂️ 14 दिन, एक मिशन और एक मकसद – आतंक का सफाया
28 जुलाई 2025 को जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में सुरक्षा बलों ने ‘ऑपरेशन महादेव’ के तहत एक बड़ी सफलता हासिल की। इस कार्रवाई में पहलगाम हमले के मास्टरमाइंड सुलेमान शाह उर्फ हाशिम मूसा को मार गिराया गया। मूसा के साथ दो और आतंकी भी मुठभेड़ में मारे गए।
यह अभियान सिर्फ एक एनकाउंटर नहीं, बल्कि एक रणनीतिक, तकनीकी और खुफिया मिशन था जिसे 14 दिनों तक चले निगरानी अभियान के बाद अंजाम दिया गया।
🧠 कौन था हाशिम मूसा?
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असली नाम: सुलेमान शाह
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कोडनेम: हाशिम मूसा
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संबंध: लश्कर-ए-तैयबा से
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पृष्ठभूमि: पाकिस्तान की स्पेशल सर्विस ग्रुप (SSG) का पूर्व कमांडो
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उद्देश्य: भारत में बड़े पैमाने पर आतंकी हमलों की योजना
मूसा ने हाफिज सईद के नेतृत्व वाले लश्कर-ए-तैयबा से जुड़कर आतंकी गतिविधियों को अंजाम देना शुरू किया था। उसकी ट्रेनिंग और कमांडो स्किल्स उसे खतरनाक बनाती थीं।
📡 तकनीकी संकेत से शुरू हुआ ऑपरेशन महादेव
सुरक्षा बलों को एक महीने पहले महादेव चोटी के पास संदिग्ध गतिविधियों का इनपुट मिला। इसी दौरान, इलाके में चीनी अल्ट्रा-रेडियो संचार प्रणाली सक्रिय होने के संकेत मिले — जो लश्कर अपने एन्क्रिप्टेड कम्युनिकेशन के लिए उपयोग करता है।
इस तकनीकी इनपुट ने सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट कर दिया और हरवान के मुलनार क्षेत्र में ऑपरेशन की योजना बनाई गई।
🔍 14 दिनों की निगरानी से मिली पुख्ता जानकारी
📌 इस मिशन की खास बात यह थी कि इसे अचानक नहीं बल्कि 14 दिन तक आतंकियों की गतिविधियों पर बारीकी से नजर रखकर अंजाम दिया गया।
📌 ड्रोन, सैटेलाइट डेटा, मानव खुफिया (HUMINT), और तकनीकी निगरानी (SIGINT) के जरिए आतंकी मूवमेंट को ट्रैक किया गया।
💥 मुठभेड़ और बरामद हथियार
🔫 श्रीनगर के हरवान इलाके में 28 जुलाई की सुबह मुठभेड़ शुरू हुई, जो 6 घंटे चली।
👊 इसमें हाशिम मूसा सहित तीन आतंकवादी मारे गए।
सुरक्षा बलों ने उनके पास से बरामद किया:
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1 अमेरिकी M4 कार्बाइन
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2 AK-47 राइफलें
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17 राइफल ग्रेनेड
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अत्याधुनिक वायरलेस रेडियो और नक्शे
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विस्फोटक उपकरण
🕵️♂️ जिन आतंकियों की हुई पहचान
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जिबरान:
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पिछले वर्ष सोनमर्ग के गगनगीर टनल प्रोजेक्ट पर हमले में शामिल था
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उस हमले में एक डॉक्टर समेत 7 लोगों की जान गई थी
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हमजा अफगानी:
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पाकिस्तान से प्रशिक्षित, आईईडी और स्नाइपर में एक्सपर्ट
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घाटी में लश्कर के सक्रिय मॉड्यूल से जुड़ा था
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📍 ऑपरेशन का नाम क्यों पड़ा ‘महादेव’?
यह नाम श्रीनगर की महादेव चोटी के नाम पर रखा गया था, जहां आतंकवादी घने जंगलों में छिपे थे। इस ऑपरेशन का उद्देश्य न केवल बदला लेना था, बल्कि आने वाले खतरे को जड़ से खत्म करना भी था।
⚠️ क्या बना होता अगला टारगेट?
बरामद नक्शों और डिवाइसेज़ से सुरक्षा बलों को शक है कि ये आतंकी जम्मू-कश्मीर में एक और बड़े हमले की साजिश रच रहे थे — संभवतः स्वतंत्रता दिवस या किसी सेना के काफिले को निशाना बनाने की तैयारी।
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(डिस्क्लेमर/अस्वीकरण)
इस लेख में प्रस्तुत जानकारी विभिन्न विश्वसनीय मीडिया स्रोतों, खुफिया रिपोर्ट्स और रक्षा अधिकारियों के बयानों पर आधारित है। TV10 Network इसकी सटीकता की स्वतंत्र पुष्टि नहीं करता। यह लेख केवल सूचना के उद्देश्य से प्रकाशित किया गया है।