🌍 रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच बढ़ा वैश्विक तनाव, भारत पर भी मंडराने लगे रणनीतिक खतरे
Russia-Ukraine War Update: रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध ने अब एक नई अंतरराष्ट्रीय बहस को जन्म दे दिया है। नाटो (NATO) ने भारत, चीन और ब्राजील जैसे देशों को रूस के साथ आर्थिक संबंधों को लेकर कड़ी चेतावनी दी है। NATO प्रमुख मार्क रूटे का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब अमेरिका भी रूस पर दबाव बनाने के लिए अपने सहयोगी देशों पर अतिरिक्त टैरिफ और प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दे चुका है।
⚠️ NATO ने क्यों दी भारत को चेतावनी?
NATO के महासचिव मार्क रूटे ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि यदि भारत, चीन और ब्राजील ने रूस के साथ अपने आर्थिक और व्यापारिक संबंध नहीं तोड़े तो उन्हें प्रतिबंधों और टैरिफ का सामना करना पड़ सकता है।
उन्होंने यह भी कहा कि इन तीनों देशों को मिलकर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से सीजफायर के लिए दबाव बनाना चाहिए, ताकि यूक्रेन में शांति की संभावना को बल मिले।
अमेरिका के कदम और नाटो का समर्थन
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा दिए गए ताजा बयान के अनुसार, अमेरिका यूक्रेन को हवाई रक्षा प्रणाली, मिसाइलें और गोला-बारूद देगा। इसकी फंडिंग यूरोपीय देश करेंगे। ट्रंप ने यह भी चेतावनी दी है कि अगर रूस 50 दिनों के भीतर युद्धविराम (Ceasefire) नहीं करता, तो अमेरिका भारत, चीन और ब्राजील पर आर्थिक दंडात्मक कार्रवाई करेगा।
🔍 भारत पर संभावित असर – कौन-कौन से सेक्टर होंगे प्रभावित?
अगर भारत को रूस के साथ अपने आर्थिक संबंध तोड़ने पर मजबूर होना पड़ा, तो इसका असर कई स्तरों पर देखने को मिल सकता है:
1. ऊर्जा (Energy Sector) पर सबसे बड़ा प्रभाव
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भारत रूस से सस्ता कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस आयात करता है।
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अगर ये आपूर्ति रुकती है तो भारत को वैकल्पिक स्रोत तलाशने होंगे जो महंगे होंगे।
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नतीजा: पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस के दामों में जबरदस्त बढ़ोतरी संभव।
2. डिफेंस सेक्टर पर प्रभाव
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भारत रूस से कई अत्याधुनिक हथियार और रक्षा प्रणाली जैसे S-400 मिसाइल सिस्टम खरीदता है।
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संबंध टूटने से रक्षा आपूर्ति श्रृंखला बाधित हो सकती है।
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भारत को अमेरिका या यूरोपीय देशों की ओर रुख करना पड़ सकता है, जिससे खर्च और समय दोनों बढ़ेंगे।
3. द्विपक्षीय व्यापार पर असर
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फार्मा, कृषि, मशीनरी जैसे क्षेत्रों में भारत का रूस के साथ अच्छा व्यापारिक संबंध है।
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दोनों देशों ने रुपये-रूबल में व्यापार शुरू किया है। यदि यह बाधित होता है तो भुगतान व्यवस्था में जटिलताएं पैदा होंगी और व्यापार लागत भी बढ़ेगी।
🌐 वैश्विक स्तर पर भारत की रणनीतिक स्थिति क्या होगी?
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भारत की गुटनिरपेक्ष नीति को चुनौती मिल सकती है।
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पश्चिमी देशों का दबाव भारत की स्वतंत्र विदेश नीति पर असर डाल सकता है।
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भारत को कूटनीतिक संतुलन बनाते हुए रूस और अमेरिका दोनों के साथ अपने संबंधों को सुरक्षित रखना होगा।
भारत के लिए मुश्किल विकल्प
NATO और अमेरिका की चेतावनी भारत के लिए एक राजनीतिक और आर्थिक द्वंद्व की स्थिति पैदा कर सकती है।
एक ओर जहां रूस के साथ संबंध भारत की ऊर्जा सुरक्षा और डिफेंस रणनीति के लिए जरूरी हैं, वहीं अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ भी व्यापार और रणनीतिक गठजोड़ अहम हैं।
अब देखना यह है कि भारत किस तरह इस संकट का समाधान निकालता है –
क्या वो रूस से संबंध बनाए रखेगा या वैश्विक दबाव में नई रणनीति बनाएगा?
आगामी समय में यह अंतरराष्ट्रीय कूटनीति का एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है।