झाँसी में मोहर्रम की सातवीं तारीख पर धार्मिक एकता का प्रतीक आयोजन
सेहराबंदी इबादत और लंगर प्रसादी में डॉ. संदीप ने निभाई मुख्य भूमिका
झाँसी। वीरांगना लक्ष्मीबाई ताजिया कमेटी ट्रस्ट के तत्वाधान में मोहर्रम के अवसर पर सातवीं तारीख को धार्मिक भक्ति एवं ऐतिहासिक परंपरा का अद्भुत संगम देखने को मिला। इस अवसर पर ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष अब्दुल रशीद की अध्यक्षता में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें सेहराबंदी की इबादत और लंगर प्रसाद वितरण शामिल रहा।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में संघर्ष सेवा समिति के संस्थापक और ट्रस्ट के संरक्षक डॉ० संदीप सरावगी उपस्थित रहे, जबकि पत्रकार मुकेश त्रिपाठी विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे। भारी संख्या में श्रद्धालुओं एवं स्थानीय नागरिकों ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
डॉ संदीप ने न केवल आयोजन में सहभागिता निभाई, बल्कि स्वयं अपने हाथों से भोजन और प्रसादी का वितरण करते हुए धार्मिक एकता और सेवा भावना का परिचय भी दिया। उन्होंने कहा,
“झाँसी केवल वीरता की नहीं, धार्मिक समरसता की भी मिसाल है। रानी लक्ष्मीबाई की सेना में कई सम्मानित मुस्लिम योद्धा शामिल थे, और वे सभी धर्मों को समान आदर देती थीं।”
उन्होंने आगे बताया कि रानी लक्ष्मीबाई हर वर्ष रानी महल में ताजिया बिठलवाती थीं, और यह कार्य परंपरा अनुसार ट्रस्ट के अध्यक्ष अब्दुल रशीद के पूर्वजों द्वारा संपन्न होता आ रहा है। यह ताजिया दस दिनों तक दर्शन के लिए खुला रहता है और आज भी शहर कोतवाल के संरक्षण में इसकी समस्त व्यवस्था होती है।
📜 कार्यक्रम की मुख्य झलकियाँ:
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आयोजनकर्ता: वीरांगना लक्ष्मीबाई ताजिया कमेटी ट्रस्ट
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अध्यक्षता: अब्दुल रशीद (राष्ट्रीय अध्यक्ष, ट्रस्ट)
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मुख्य आकर्षण: सेहराबंदी की इबादत और लंगर प्रसाद का वितरण
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ऐतिहासिक परंपरा के अनुरूप कार्यक्रम
✨ रानी लक्ष्मीबाई की परंपरा का अनुसरण
डॉ. संदीप ने कहा कि झाँसी की महारानी लक्ष्मीबाई केवल एक वीरांगना ही नहीं थीं, बल्कि धार्मिक समरसता की प्रतीक भी थीं।
“रानी लक्ष्मीबाई की सेना में कई मुस्लिम योद्धा शामिल थे और वे हर धर्म को बराबरी का सम्मान देती थीं।”
उन्होंने बताया कि रानी महल में प्रतिवर्ष मोहर्रम पर ताजिया बिठाने की परंपरा रही है। इस परंपरा का पालन अब्दुल रशीद के पूर्वज दशकों से करते आ रहे हैं। ताजिया 10 दिन तक आम लोगों के दर्शन के लिए रखा जाता है, और इसके सभी आयोजन झाँसी शहर कोतवाल की निगरानी में संपन्न होते हैं — ठीक वैसे ही जैसे रानी लक्ष्मीबाई के काल में होता था।
🤝 विशिष्ट योगदान देने वाले ट्रस्ट पदाधिकारीगण:
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डॉ. सुदर्शन शिवहरे (राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष)
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मोहम्मद अकरम (महासचिव)
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शाहनवाज खान (संगठन मंत्री)
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डॉ. मनमोहन मनु (मीडिया प्रभारी)
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हाजी मुन्ना मंसूरी
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बलवीर चौधरी
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उत्कर्ष साहू
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वशीर मोहम्मद
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आमिर अहमद
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मोहम्मद अजहर
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मोहम्मद सलीम
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तरन्नुम जहां
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असफिया
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शमा कौशर
🫂 संघर्ष सेवा समिति का सहयोग:
संघर्ष सेवा समिति के सदस्य जो आयोजन में सक्रिय रहे:
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संदीप नामदेव
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महेन्द्र रायकवार
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आशीष विश्वकर्मा
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अरुण पांचाल
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राहुल रायकवार
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राजू सेन
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सूरज प्रसाद वर्मा
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बसंत गुप्ता
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राकेश अहिरवार
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सुशांत गेंडा
ऐसे आयोजनों के माध्यम से झाँसी न केवल अपने ऐतिहासिक गौरव को याद करती है, बल्कि धार्मिक सौहार्द एवं सांस्कृतिक विरासत को भी मजबूत करती है। डॉ संदीप जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं की भूमिका इस पुल को और अधिक सशक्त बनाती है।