जैविक ट्राइकोडर्मा उपचार से फसल सुरक्षा
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खरीफ फसलों की सफल बुआई के लिए ट्राइकोडर्मा से करें बीज एवं पौध उपचार

✅ खरीफ फसलों में ट्राइकोडर्मा का उपयोग: फसलों की सुरक्षा का जैविक तरीका

झाँसी।
रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी के कृषि वैज्ञानिकों ने खरीफ फसलों की बुआई से पहले किसानों को ट्राइकोडर्मा जैव-उपचार की सलाह दी है। यह जैविक उपाय न केवल बीज और मृदा जनित रोगों से सुरक्षा प्रदान करता है, बल्कि भूमि की उर्वरता और स्वास्थ्य को भी दीर्घकालीन रूप से बनाए रखता है।

कृषि वैज्ञानिक डॉ. शुभा त्रिवेदी एवं डॉ. पी. पी. जाम्भुलकर के अनुसार, ट्राइकोडर्मा का उपयोग वर्तमान खरीफ सीजन में अत्यंत लाभकारी साबित हो सकता है। इस जैव-नियंत्रक एजेंट के माध्यम से फसल को आर्दगलन, उकठा, जड़ गलन, बीज सड़न, ग्रीवा गलन, और मूल ग्रंथि रोग जैसे गंभीर समस्याओं से बचाया जा सकता है।


🧪 ट्राइकोडर्मा क्या है?

ट्राइकोडर्मा एक लाभकारी फफूँद (fungus) है, जो पौधों की जड़ क्षेत्र (Rhizosphere) में सक्रिय होकर हानिकारक रोगाणुओं को समाप्त करती है। इसकी दो प्रमुख प्रजातियाँ हैं:

  • Trichoderma harzianum

  • Trichoderma asperellum

दोनों जैविक कृषि में प्रभावी रूप से उपयोग की जाती हैं।


🌾 बीज उपचार कैसे करें?

बुआई से पूर्व प्रति 1 किलोग्राम बीज पर 10 ग्राम ट्राइकोडर्मा पाउडर को अच्छी तरह मिलाएं और 2 घंटे तक छोड़ दें। इसके बाद बीजों की बुआई करें।
यह तरीका बीज जनित रोगों को रोकने में अत्यंत प्रभावी है।


🌱 नर्सरी शैय्या उपचार विधि

100 वर्ग मीटर नर्सरी क्षेत्र के लिए निम्न सामग्री का मिश्रण करें:

  • नीम की खली – 1 से 2 किग्रा

  • गोबर की खाद – 1.5 किग्रा

  • ट्राइकोडर्मा पाउडर – 25 ग्राम

इसे नर्सरी की मिट्टी में अच्छी तरह मिलाकर डालें। यह पौधों को रोगों से सुरक्षित रखता है और जड़ों को मजबूत बनाता है।


🌿 पौध एवं कटिंग उपचार

10 ग्राम ट्राइकोडर्मा पाउडर को 1 लीटर पानी में घोलें, फिर फसल के पौधों या कटिंग की जड़ों को 10 मिनट के लिए उसमें डुबोकर रोपाई करें। यह तकनीक खासकर सब्जियों और नर्सरी पौधों के लिए अत्यंत लाभकारी है।


🔁 2–3 वर्षों तक निरंतर प्रयोग से मिलेगा स्थायी लाभ

डॉ. त्रिवेदी और डॉ. जाम्भुलकर का कहना है कि यदि किसान ट्राइकोडर्मा का लगातार 2-3 वर्षों तक प्रयोग करें, तो उनकी भूमि रोगजनक कारकों से लगभग मुक्त हो सकती है। यह जैविक उत्पाद किसी भी रासायनिक कीटनाशक से बेहतर, सस्ता और सुरक्षित विकल्प है।


🫘 किन फसलों के लिए ट्राइकोडर्मा विशेष लाभकारी?

ट्राइकोडर्मा मुख्य रूप से दलहनी और तिलहनी खरीफ फसलों के लिए अत्यंत प्रभावी है, जैसे:

दलहनी फसलें:

  • अरहर

  • मूंग

  • उड़द

  • सोयाबीन

तिलहनी फसलें:

  • मूंगफली

  • तिल

  • सूरजमुखी

इन फसलों की बुआई जुलाई के अंत तक की जा सकती है। यदि अभी तक बुआई नहीं की है तो धूप निकलने पर तुरंत बुआई की सलाह दी गई है।


🌱 ट्राइकोडर्मा के फायदे एक नजर में:

✔️ फसलों को मृदा और बीज जनित रोगों से बचाता है
✔️ भूमि की उर्वरता और जैविक स्वास्थ्य में सुधार करता है
✔️ रासायनिक उपचार की तुलना में अधिक सुरक्षित और सस्ता
✔️ पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ कृषि का आधार


खरीफ सीजन में ट्राइकोडर्मा जैविक समाधान किसानों के लिए एक वरदान बन सकता है। यह न केवल फसल सुरक्षा का सशक्त उपाय है, बल्कि प्राकृतिक और टिकाऊ खेती की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की यह सलाह खरीफ बुआई से पहले हर किसान तक जरूर पहुँचनी चाहिए।


विमल "हिंदुस्तानी"
"लेखक ने दिल्ली एनसीआर के प्रमुख संस्थान से Mass Communication & Journalisam with Advertisment मे दो वर्ष अध्ययन किया है एवं पिछले दस वर्षों से मीडिया जगत से जुड़े हैं। उन्होंने विभिन्न न्यूज़ चैनलों में संवाददाता के रूप में कार्य किया है और एक समाचार पत्र का संपादन, प्रकाशन तथा प्रबंधन भी स्वयं किया है। लेखक की विशेषता यह है कि वे भीड़ के साथ चलने के बजाय ऐसे विषयों को उठाते हैं जो अक्सर अनछुए रह जाते हैं। उनका उद्देश्य लेखनी के माध्यम से भ्रम नहीं, बल्कि ‘ब्रह्म’ – यानि सत्य, सार और सच्चाई – को प्रस्तुत करना है।"