बदलते मौसम में सर्दी-जुकाम से बचाव कैसे करें?
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बदलते मौसम में अपनाएं ये रामबाण तरीके : खांसी-जुकाम से बचने के आयुर्वेदिक उपाय

खांसी-जुकाम से बचने के आयुर्वेदिक उपाय: बदलते मौसम में अपनाएं ये रामबाण तरीके

🌧️ परिचय:

बदलते मौसम, विशेष रूप से बरसात में खांसी-जुकाम होना एक आम समस्या है। हालांकि यह सामान्य प्रतीत होती है, लेकिन यदि समय रहते इसका इलाज न किया जाए, तो यह ब्रोंकाइटिस, साइनस या यहां तक कि अस्थमा जैसी गंभीर समस्याओं का रूप ले सकती है। खासकर बारिश के मौसम में वातावरण में नमी बढ़ जाती है और रोगाणु तेजी से पनपते हैं, जिससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है।

सौभाग्य से, आयुर्वेद – भारत की प्राचीन चिकित्सा प्रणाली – में खांसी-जुकाम से राहत के लिए अनेक सुरक्षित, सरल और प्रभावशाली उपाय मौजूद हैं, जो बिना दवा के भी शरीर को भीतर से मजबूत बनाते हैं।


आयुर्वेदिक घरेलू उपाय जो जरूर अपनाएं:

🍵 1. काढ़ा (हर्बल ड्रिंक):

सामग्री: तुलसी के पत्ते, अदरक, काली मिर्च, लौंग, दालचीनी, हल्दी
विधि:
इन सभी चीजों को पानी में डालकर 10-15 मिनट तक उबालें। स्वादानुसार गुड़ या शहद मिलाएं और गर्मागर्म पिएं।

लाभ:
यह शरीर को गर्म रखता है, गले को राहत देता है, इम्युनिटी बढ़ाता है और संक्रमण से लड़ने की ताकत देता है।


🫚 2. अदरक-शहद का मिश्रण:

विधि:
1 चम्मच अदरक का रस और 1 चम्मच शुद्ध शहद मिलाकर दिन में 2-3 बार सेवन करें।

लाभ:
यह मिश्रण खांसी और गले की खराश के लिए रामबाण है। शहद में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जबकि अदरक कफ को बाहर निकालने में मदद करता है।


🌿 3. तुलसी और मुलेठी:

  • तुलसी: रोज़ सुबह 5-6 पत्तियां चबाएं या उसका काढ़ा पिएं।

  • मुलेठी: एक टुकड़ा मुलेठी दिन में 2-3 बार चूसें।

लाभ:
तुलसी और मुलेठी दोनों में प्राकृतिक औषधीय गुण होते हैं जो गले की सूजन, जलन और बलगम की समस्या से राहत दिलाते हैं।


🧄 4. लहसुन और सरसों का तेल:

विधि:
2-3 लहसुन की कलियों को सरसों के तेल में भून लें और इस गर्म तेल से छाती, गर्दन और पैरों के तलवों पर मालिश करें।

लाभ:
यह उपाय शरीर में गर्मी पैदा करता है, रक्त संचार बढ़ाता है और बंद नाक व खांसी में तुरंत राहत देता है।


🛁 5. भाप लेना (स्टीम थेरेपी):

विधि:
गर्म पानी में अजवाइन, नीलगिरी (यूकेलिप्टस) ऑयल या पुदीना के पत्ते डालकर भाप लें। इसे सुबह-शाम किया जा सकता है।

लाभ:
नाक की जकड़न, साइनस प्रेशर और बलगम को ढीला करने में अत्यंत लाभकारी है।


🛑 इन बातों का रखें विशेष ध्यान:

  • आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक्स और ठंडा पानी बिलकुल न लें।

  • भीगने पर तुरंत कपड़े बदलें और बालों को सुखाएं।

  • गीले जूते या मोजे पहनने से बचें।

  • घर को हवादार और साफ रखें।

  • ज़्यादा देर एसी या पंखे की सीधी हवा में न बैठें।


🌿 आयुर्वेदिक चूर्ण और औषधियां:

इनका उपयोग चिकित्सक की सलाह से किया जा सकता है:

  • सितोपलादि चूर्ण: शहद के साथ दिन में दो बार सेवन करें।

  • त्रिकटु चूर्ण: पाचन सुधारने और बलगम कम करने में सहायक।

  • तालीसादी चूर्ण: विशेष रूप से खांसी और जुकाम के लिए फायदेमंद।

  • संजीवनी वटी: यदि वायरल संक्रमण भी हो रहा हो तो बहुत असरदार मानी जाती है।

इन सभी औषधियों में प्राकृतिक तत्व होते हैं जो शरीर की इम्युनिटी बढ़ाकर लक्षणों को जड़ से खत्म करने का काम करते हैं।


🍲 खानपान में बदलाव लाएं:

  • गुनगुना पानी पिएं, जिससे गले को राहत मिले और शरीर डिटॉक्स हो।

  • हल्दी वाला दूध रात को पीने से खांसी में राहत मिलती है।

  • सुपाच्य भोजन करें – खिचड़ी, मूंग दाल, दलिया जैसी चीजें।

  • फल जैसे अमरूद, पपीता, अनार – विटामिन C से भरपूर होते हैं।


🧘‍♂️ योग और प्राणायाम का सहारा लें:

  • अनुलोम-विलोम, कपालभाति, भ्रामरी प्राणायाम जैसे अभ्यास श्वसन तंत्र को मजबूत करते हैं।

  • सुबह की सैर और हल्का व्यायाम फेफड़ों की कार्यक्षमता को बढ़ाता है।


खांसी और जुकाम जैसी समस्याएं बारिश के मौसम में आम हैं, लेकिन आयुर्वेदिक उपचारों को अपनाकर इनसे न केवल राहत पाई जा सकती है बल्कि भविष्य में होने वाले गंभीर रोगों से भी बचाव संभव है। सबसे जरूरी बात यह है कि हम अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) को मजबूत रखें और प्राकृतिक उपायों को जीवनशैली का हिस्सा बनाएं।

आयुर्वेद का मूल मंत्र है – “प्राकृतिक रहो, स्वस्थ रहो।” यदि आप इन उपायों को नियमित रूप से अपनाते हैं, तो मौसम कोई भी हो, बीमारी आपसे दूर ही रहेगी।

विमल "हिंदुस्तानी"
"लेखक ने दिल्ली एनसीआर के प्रमुख संस्थान से Mass Communication & Journalisam with Advertisment मे दो वर्ष अध्ययन किया है एवं पिछले दस वर्षों से मीडिया जगत से जुड़े हैं। उन्होंने विभिन्न न्यूज़ चैनलों में संवाददाता के रूप में कार्य किया है और एक समाचार पत्र का संपादन, प्रकाशन तथा प्रबंधन भी स्वयं किया है। लेखक की विशेषता यह है कि वे भीड़ के साथ चलने के बजाय ऐसे विषयों को उठाते हैं जो अक्सर अनछुए रह जाते हैं। उनका उद्देश्य लेखनी के माध्यम से भ्रम नहीं, बल्कि ‘ब्रह्म’ – यानि सत्य, सार और सच्चाई – को प्रस्तुत करना है।"