झांसी में दो समाजसेवकों में ज़मीन को लेकर टकराव
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झांसी में ज़मीन विवाद ने ली गंभीर शक्ल: दो चर्चित समाजसेवकों ने एक दूसरे के  खिलाफ गंभीर आरोपों मे दर्ज कराये मुकदमे 

झांसी में ज़मीन विवाद ने ली गंभीर शक्ल: दो चर्चित समाजसेवकों पर रंगदारी मांगने, मारपीट और धमकी के गंभीर आरोप, दोनों ने एक दूसरे के  खिलाफ दर्ज कराये मुकदमे 

झांसी।
कभी झांसी की सामाजिक सेवा के क्षेत्र में अग्रणी माने जाने वाले दो प्रतिष्ठित चेहरे — नत्थू कुशवाह और दिलीप पांडे — आज आपसी विवाद के चलते कानून की चौखट तक पहुँच गए हैं। एक ज़मीन विवाद ने अब रंगदारी मांगने, गाली-गलौज, मारपीट और जान से मारने की धमकी तक का रूप ले लिया है। दोनों पक्षों की ओर से अदालत में याचिकाएँ दाखिल की गईं, जिसके बाद पुलिस ने दोनों समाजसेवकों के विरुद्ध अलग-अलग मुकदमे दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

पहला मामला: नत्थू कुशवाह की शिकायत पर दर्ज हुआ मुकदमा

शहर कोतवाली में दर्ज रिपोर्ट के मुताबिक पंचवटी कॉलोनी निवासी नत्थू कुशवाह ने अदालत के माध्यम से शिकायत दी कि दिलीप पांडे और उनके साथियों ने उन्हें रास्ते में रोक लिया, बदसलूकी की, गाली-गलौज करते हुए मारपीट की और जबरन उनकी जेब से ₹20,000 निकाल लिए। नत्थू का आरोप है कि पांडे ने ₹1 करोड़   की रंगदारी मांगी और धमकी दी कि अगर रकम नहीं दी गई तो उनका जीना दूभर कर दिया जाएगा।

नत्थू की याचिका पर संज्ञान लेते हुए अदालत ने 173(4) सीआरपीसी के तहत आदेश पारित कर कोतवाली पुलिस को FIR दर्ज कर निष्पक्ष जांच के निर्देश दिए, जिस पर पुलिस ने मुकदमा कायम कर तफ्तीश शुरू कर दी है।

दूसरा मामला: दिलीप पांडे की ओर से भी पलटवार, अलग FIR दर्ज

वहीं दूसरी ओर, दिलीप पांडे ने भी इसी मुद्दे पर कोर्ट की शरण ली और नत्थू कुशवाह पर ₹10 लाख की रंगदारी मांगने का आरोप लगाया। उन्होंने आरोप लगाया कि नत्थू और उनके सहयोगियों ने उन्हें अपशब्द कहे, धमकाया और जबरदस्ती रकम की मांग की। कोर्ट ने इस याचिका पर भी पुलिस को FIR दर्ज करने व मामले की जांच कर रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।

समाजसेवा से अदालत तक: नत्थू और दिलीप आमने-सामने

कभी सहयोगी, अब कट्टर विरोधी

यह विवाद इसलिए भी ज्यादा चर्चा में है क्योंकि नत्थू कुशवाह और दिलीप पांडे दोनों को झांसी के सामाजिक क्षेत्र में दशकों से सक्रिय और सहयोगी माना जाता था। दोनों ने कई बार गरीबों की मदद, असहायों के लिए राशन वितरण, झोपड़ी बस्तियों में चिकित्सा कैंप और गरीब कन्याओं के विवाह जैसे कई परोपकारी कार्य किए हैं। मगर आज वही दो चेहरे एक-दूसरे को गंभीर अपराधों में लिप्त बता रहे हैं।

अब निगाहें पुलिस जांच और अदालत के निर्णय पर

इस मामले ने न केवल झांसी के सामाजिक ताने-बाने को झकझोर दिया है, बल्कि समाजसेवा के पवित्र मंच पर भी सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। सच क्या है, यह तो पुलिस जांच और अदालत के फैसले के बाद ही स्पष्ट होगा। फिलहाल, दोनों पक्ष अपने-अपने आरोपों को सही ठहराने में लगे हैं और न्याय की उम्मीद लगाए बैठे हैं।


(डिसक्लेमर)
इस समाचार लेख में प्रस्तुत जानकारी न्यायालय एवं पुलिस अभिलेखों, शिकायतों एवं स्थानीय स्रोतों पर आधारित है। किसी भी व्यक्ति को दोषी ठहराना या निर्दोष साबित करना केवल न्यायपालिका का कार्य है। हमारी संस्था निष्पक्ष और सत्य घटनाओं की रिपोर्टिंग हेतु प्रतिबद्ध है।

रिपोर्ट – राहुल कोष्टा – 7052014871

विमल "हिंदुस्तानी"
"लेखक ने दिल्ली एनसीआर के प्रमुख संस्थान से Mass Communication & Journalisam with Advertisment मे दो वर्ष अध्ययन किया है एवं पिछले दस वर्षों से मीडिया जगत से जुड़े हैं। उन्होंने विभिन्न न्यूज़ चैनलों में संवाददाता के रूप में कार्य किया है और एक समाचार पत्र का संपादन, प्रकाशन तथा प्रबंधन भी स्वयं किया है। लेखक की विशेषता यह है कि वे भीड़ के साथ चलने के बजाय ऐसे विषयों को उठाते हैं जो अक्सर अनछुए रह जाते हैं। उनका उद्देश्य लेखनी के माध्यम से भ्रम नहीं, बल्कि ‘ब्रह्म’ – यानि सत्य, सार और सच्चाई – को प्रस्तुत करना है।"