🌺 Siddheshwar Temple of Jhansi🌺
🛕 सिर्फ एक परिक्रमा से समाप्त हो जाता है घर का क्लेश
झांसी शहर के मध्य, राजकीय इंटर कॉलेज के पास स्थित है एक ऐसा दिव्य मंदिर जिसे स्थानीय जनमानस “सिद्धेश्वर मंदिर” के नाम से जानता है। यह कोई साधारण शिव मंदिर नहीं, बल्कि मान्यता है कि यहां केवल एक बार सच्चे मन से परिक्रमा कर लेने भर से घर के सभी तरह के कलह, अशांति और क्लेश दूर हो जाते हैं।
यही कारण है कि झांसी ही नहीं, बल्कि पूरे बुंदेलखंड से श्रद्धालु यहां आते हैं — खासकर महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर।
🕉️ इस मंदिर का इतिहास एक स्वतंत्रता सेनानी के स्वप्न से जुड़ा है
इस दिव्य स्थान की शुरुआत वर्ष 1928 में हुई जब स्वतंत्रता सेनानी पंडित रघुनाथ विनायक धुलेकर, जो उस समय जेल में बंद थे, उन्हें एक अद्भुत स्वप्न आया। स्वप्न में उन्होंने शिवलिंग की स्थापना को देखा।
जेल से रिहा होने के कुछ समय बाद ही, पितांबरा पीठ के पूज्य स्वामीजी झांसी आए और नगर के बाहर स्थित एक शांत जंगल में ध्यान में लीन हो गए।
जब यह बात रघुनाथ धुलेकर तक पहुँची तो उन्होंने अपने स्वप्न की बात स्वामीजी को बताई। स्वामीजी ने ध्यानस्थ होकर आदेश दिया कि जिस स्थान पर वे बैठे हैं, वहां खुदाई की जाए।
खुदाई करते समय वहां से एक शिवलिंग और नंदी की दिव्य मूर्ति प्राप्त हुई। माना जाता है कि यह खोज पुष्य नक्षत्र में हुई थी, जो इस स्थान की दिव्यता को और अधिक बल देता है।
📅 सिर्फ पुष्य नक्षत्र में होता था निर्माण कार्य – 21 वर्षों में हुआ मंदिर का निर्माण
एक और खास बात यह है कि इस मंदिर का निर्माण सामान्य दिनों में नहीं, बल्कि केवल पुष्य नक्षत्र के दिन ही होता था।
इस कारण यह भव्य मंदिर 21 वर्षों में बनकर तैयार हुआ। इस पूरी अवधि में हर महीने सिर्फ एक ही दिन — पुष्य नक्षत्र को ही निर्माण कार्य होता रहा।
यह आस्था, श्रद्धा और दिव्यता का अद्भुत संगम है जो इस मंदिर को औरों से अलग बनाता है।
🪔 महाशिवरात्रि पर विशेष आयोजन और लाखों की संख्या में श्रद्धालु
हर वर्ष महाशिवरात्रि के पावन दिन इस मंदिर में भव्य आयोजन होता है।
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🕛 रात्रि 12 बजे से भस्म आरती के साथ पूजा की शुरुआत होती है। यह वही समय होता है जब त्रिकालदर्शी भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह किया था।
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🚶♂️ इसके बाद श्रद्धालु कांवड़ लेकर ओरछा जाते हैं, और वहाँ के रामराजा सरकार से जल भरकर लाते हैं।
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🧉 इस जल से सिद्धेश्वर मंदिर में भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाता है।
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🥛 शाम को विशेष पूजा में लगभग 3 क्विंटल दूध से भी भगवान का अभिषेक होता है।
और फिर, धूमधाम से शिव बारात निकाली जाती है, जिसमें स्थानीय लोग, श्रद्धालु, बच्चे, महिलाएं पूरे उत्साह से भाग लेते हैं। यह दृश्य किसी त्योहार या मेले से कम नहीं होता।
🌟 झांसी और बुंदेलखंड में अद्वितीय स्थान
सिद्धेश्वर मंदिर न केवल झांसी का, बल्कि पूरे बुंदेलखंड का एक ऐतिहासिक, आध्यात्मिक और सामाजिक केंद्र बन चुका है।
यह मंदिर ना केवल ईश्वर में विश्वास रखने वालों का, बल्कि उन लोगों का भी सहारा है जो अपने जीवन में शांति, समाधान और सकारात्मक ऊर्जा की तलाश कर रहे हैं।
यहां दर्शन करने वाले लोग बताते हैं कि एक बार आने के बाद जीवन में सुख-शांति का अहसास होता है।
विशेषकर जिनके घरों में पारिवारिक तनाव, कलह, या क्लेश हो, उन्हें इस मंदिर में एक बार अवश्य जाना चाहिए।
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📝 संक्षेप में: क्यों करें सिद्धेश्वर मंदिर के दर्शन?
✅ घर के क्लेश दूर करने की मान्यता
✅ स्वतंत्रता संग्राम और दिव्य स्वप्न से जुड़ा इतिहास
✅ 21 वर्षों तक सिर्फ पुष्य नक्षत्र में हुआ निर्माण
✅ महाशिवरात्रि पर अनोखे भस्म आरती और दूध अभिषेक की परंपरा
✅ भव्य शिव बारात और जन-जन की आस्था का केंद्र
⚠️ (धार्मिक अस्वीकरण)
इस लेख में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और स्थानीय आस्थाओं पर आधारित है। इसका उद्देश्य किसी की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाना नहीं, बल्कि जानकारी प्रदान करना है। पाठक स्वयं अपने विवेक और श्रद्धा से इस जानकारी का उपयोग करें।