माँ सिद्दीदात्री
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गुप्त नवरात्रि की नवमी 2025: सिद्धिदात्री माता की कृपा से खुलते हैं सिद्धियों के द्वार

🌺 गुप्त नवरात्रि की नवमी 2025: सिद्धिदात्री माता की कृपा से खुलते हैं सिद्धियों के द्वार

🔶 गुप्त नवरात्रि क्या है?

गुप्त नवरात्रि वर्ष में दो बार आती है — माघ और आषाढ़ माह में। यह सामान्य नवरात्रि से अलग होती है क्योंकि इसमें गुप्त रूप से साधना, मंत्रजप और तांत्रिक क्रियाएं की जाती हैं। खासकर साधक, तांत्रिक, और जो आध्यात्मिक ऊंचाई को पाना चाहते हैं, उनके लिए यह बेहद फलदायी होती है।

आषाढ़ शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि इस गुप्त नवरात्रि का अंतिम चरण है, जब माता सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। ये देवी सिद्धियों की दात्री हैं और भक्त को अष्ट सिद्धियाँ प्रदान करती हैं।


🔱 माता सिद्धिदात्री का स्वरूप

माता सिद्धिदात्री नवदुर्गा का नवां स्वरूप हैं। इनका स्वरूप अत्यंत शांत, करुणामयी और दिव्य होता है। वे चार भुजाओं वाली हैं, जिनमें शंख, चक्र, गदा और कमल धारण करती हैं। इनका वाहन सिंह या कमल है।

इनके दर्शन से साधक का हृदय निर्मल होता है और आत्मा में दिव्यता का संचार होता है। वे शुद्ध चेतना की प्रतीक हैं और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करती हैं।


📜 नवमी तिथि का महत्व

गुप्त नवरात्रि की नवमी केवल पूजन का दिन नहीं, बल्कि आध्यात्मिक सिद्धि का द्वार भी है। यह तिथि ऐसे साधकों के लिए विशेष मानी जाती है जो तंत्र, मंत्र, योग और ध्यान के माध्यम से अपने जीवन में परिवर्तन लाना चाहते हैं।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव को भी माता सिद्धिदात्री की कृपा से ही अष्ट सिद्धियाँ प्राप्त हुई थीं। इसलिए इस दिन की गई साधना अत्यंत फलदायक होती है।


🧘‍♀️ अष्ट सिद्धियाँ क्या हैं?

  1. अणिमा – स्वयं को सूक्ष्मतम रूप में परिवर्तित करना

  2. महिमा – शरीर को विशाल बना सकना

  3. गरिमा – शरीर को भारी बनाना

  4. लघिमा – शरीर को अत्यंत हल्का बना सकना

  5. प्राप्ति – किसी भी वस्तु की प्राप्ति की क्षमता

  6. प्राकाम्य – इच्छानुसार कार्य सिद्ध करने की शक्ति

  7. ईशित्व – प्रभुता और शासन क्षमता

  8. वशित्व – दूसरों पर नियंत्रण रखने की शक्ति


🙏 पूजन विधि (Pooja Vidhi)

  1. प्रातः काल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।

  2. पूजा स्थान को स्वच्छ करें और माता सिद्धिदात्री की प्रतिमा/चित्र स्थापित करें।

  3. शुद्ध घी का दीपक जलाएं और अगरबत्ती लगाएं।

  4. माता को लाल पुष्प, कमल, नैवेद्य, नारियल, हलवा आदि अर्पित करें।

  5. ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः” मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।

  6. दुर्गा सप्तशती के नवम अध्याय का पाठ करें।

  7. दिन में एक समय फलाहार व्रत रखें और शाम को माता की आरती करें।

  8. कन्या भोज और ब्राह्मणों को दान दें।


🎨 शुभ रंग और शुभ अंक

  • शुभ रंग: सफेद, गुलाबी, हल्का नीला

  • शुभ अंक: 3, 9, 27


🔯 विशेष उपाय नवमी तिथि पर

  • माता को कमल का फूल चढ़ाकर 9 बार “ॐ ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्यै नमः” का जाप करें — मनचाहा कार्य सिद्ध होगा।

  • चांदी की छोटी माता की प्रतिमा दान करें — आर्थिक बाधाएँ दूर होंगी।

  • यदि कोई शत्रु बाधा हो, तो सफेद चंदन से “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं” लिखकर माता को अर्पित करें।


🛐 गुप्त साधना करने वालों के लिए

जो साधक गुप्त साधना कर रहे हैं, वे इस दिन रात्रि में मां सिद्धिदात्री का ध्यान करके मौन रहकर या तंत्र साधना कर सकते हैं। यह रात्रि सिद्धि प्राप्ति की रात्रि मानी जाती है।

विशेषतः यह दिन श्रीविद्या साधना, महाविद्या उपासना और मंत्र सिद्धि के लिए अत्यंत श्रेष्ठ है।


गुप्त नवरात्रि की नवमी तिथि केवल देवी उपासना का अंतिम दिन नहीं, बल्कि आंतरिक चेतना को जागृत करने का एक गहरा अवसर है। माता सिद्धिदात्री की आराधना से जीवन में स्थिरता, शांति, सफलता और दिव्यता आती है। जो साधक सच्चे मन से इनकी पूजा करते हैं, उन्हें धार्मिक, मानसिक और सांसारिक सभी सुख प्राप्त होते हैं।


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📜 (डिस्क्लेमर / अस्वीकरण)

यह लेख पुराणों, शास्त्रों और जनश्रुतियों पर आधारित धार्मिक जानकारी प्रदान करता है। इसमें दी गई किसी भी जानकारी को अंतिम सत्य या अंधविश्वास के रूप में न लें। इसका उद्देश्य केवल धार्मिक एवं सांस्कृतिक जागरूकता फैलाना है। किसी भी उपाय को अपनाने से पहले व्यक्तिगत विवेक या विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। इस जानकारी के किसी भी प्रयोग की जिम्मेदारी पाठक की स्वयं की होगी।
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विमल "हिंदुस्तानी"
"लेखक ने दिल्ली एनसीआर के प्रमुख संस्थान से Mass Communication & Journalisam with Advertisment मे दो वर्ष अध्ययन किया है एवं पिछले दस वर्षों से मीडिया जगत से जुड़े हैं। उन्होंने विभिन्न न्यूज़ चैनलों में संवाददाता के रूप में कार्य किया है और एक समाचार पत्र का संपादन, प्रकाशन तथा प्रबंधन भी स्वयं किया है। लेखक की विशेषता यह है कि वे भीड़ के साथ चलने के बजाय ऐसे विषयों को उठाते हैं जो अक्सर अनछुए रह जाते हैं। उनका उद्देश्य लेखनी के माध्यम से भ्रम नहीं, बल्कि ‘ब्रह्म’ – यानि सत्य, सार और सच्चाई – को प्रस्तुत करना है।"