🛕 Famous Temples In Bahraich: युधिष्ठिर ने वनवास में स्थापित किया था शिवलिंग, नाम पड़ा सिद्धनाथ
Famous Temples In Bahraich: [अनुराग गुप्ता, बहराइच ] उत्तर प्रदेश का बहराइच जनपद जितना ऐतिहासिक दृष्टि से समृद्ध है, उतना ही यह धार्मिक महत्व भी रखता है। बहराइच की पहचान सिर्फ गंगा-घाघरा की भूमि या नेपाल सीमा से जुड़ाव तक सीमित नहीं, बल्कि इसकी आत्मा सिद्धनाथ महादेव मंदिर में बसती है। मान्यता है कि इस प्राचीन मंदिर में स्वयं सम्राट युधिष्ठिर ने द्वापर युग में वनवास के दौरान शिवलिंग की स्थापना की थी। यही कारण है कि यह मंदिर न केवल स्थानीय आस्था का केंद्र है, बल्कि दूर-दराज़ से श्रद्धालुओं की आस्था का भी प्रतीक है।
🕉️ द्वापर युग से जुड़ी है मंदिर की कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब इंद्रप्रस्थ के सम्राट युधिष्ठिर को जुए में अपने राज्य और सम्मान को खोकर वनवास जाना पड़ा, तब उन्होंने हिमालय की तलहटी में प्रवास किया। इस दौरान उन्होंने कई शिवलिंगों की स्थापना की। उन्हीं में से एक शिवलिंग, जो उन्होंने घने जंगलों के बीच स्थापित किया, कालांतर में सिद्धनाथ महादेव के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
वनवास के समय युधिष्ठिर ने भगवान शिव की आराधना कमल पुष्पों से की, ताकि उन्हें खोया हुआ वैभव पुनः प्राप्त हो। यही कारण है कि यहां आज भी कमल पुष्पों से अभिषेक करने की परंपरा जीवित है। ऐसा माना जाता है कि कुरुक्षेत्र के युद्ध में श्रीकृष्ण की प्रेरणा और शिव के आशीर्वाद से युधिष्ठिर को विजय प्राप्त हुई।
🌸 कमल पुष्पों से अभिषेक की परंपरा
बहराइच झीलों और नदियों से आच्छादित क्षेत्र है, जहां अब भी लाल, सफेद और पहले कभी पाए जाने वाले नीले कमल पुष्पों की बहुतायत मिलती है। कहा जाता है कि नीले कमल रानी द्रौपदी को अत्यंत प्रिय थे। आज भी मंदिर से 10-12 किलोमीटर की परिधि में लगभग आधा दर्जन ऐसी झीलें हैं जहां से कमल पुष्प एकत्रित किए जाते हैं।
🏛️ मंदिर का स्थान और पहुंच
सिद्धनाथ महादेव मंदिर बहराइच शहर के मध्य ब्राह्मणीपुरा मोहल्ला में स्थित है। यह बस स्टेशन से मात्र 1 किलोमीटर और रेलवे स्टेशन से 2 किलोमीटर की दूरी पर है। यहाँ तक आप पैदल, रिक्शा या निजी वाहन द्वारा आसानी से पहुँच सकते हैं।
इस मंदिर का प्रबंधन श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा, काशी के अधीन है और वर्तमान महंत रवि गिरी जी महाराज मंदिर के संरक्षक हैं। मंदिर समय-समय पर जीर्णोद्धार के साथ आज भी विस्तारीकरण की प्रक्रिया में है।
📅 प्रमुख पर्व और आयोजन
यहाँ प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु दर्शन हेतु आते हैं, लेकिन कजरी तीज और महाशिवरात्रि जैसे पर्वों पर श्रद्धालुओं की भीड़ विशेष रूप से उमड़ती है। इन मौकों पर नेपाल, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा सहित कई जिलों से श्रद्धालु यहाँ आते हैं।
इसके अतिरिक्त:
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कृष्ण जन्माष्टमी
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गुरुपूर्णिमा
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अन्नकूट महोत्सव
जैसे पर्व भी परंपरागत ढंग से मनाए जाते हैं।
मंदिर में प्रातः मंगला आरती, दोपहर भोग आरती, सायं शृंगार और रात्रि शयन आरती विशेष नियमों के साथ होती है।
🌟 अन्य देवी-देवताओं के विग्रह
सिद्धनाथ महादेव मंदिर केवल शिव भक्ति तक सीमित नहीं है। यहां और भी कई देवताओं के विग्रह (प्रतिमाएं) स्थापित हैं:
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माता पार्वती
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माता दुर्गा
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माता काली
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भैरव बाबा
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तिरुपति बालाजी
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शनिदेव
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हनुमान जी
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सूर्य नारायण
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राधा-कृष्ण
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नंदीश्वर
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गणपति
श्रद्धालु यहां इन सभी देव विग्रहों की भी पूजा करते हैं।
सिद्धनाथ महादेव मंदिर न केवल बहराइच की धार्मिक पहचान है, बल्कि यह भारत की प्राचीन शिव परंपरा और पांडवों के इतिहास से भी जुड़ा हुआ है। यह मंदिर हर उस श्रद्धालु को आमंत्रित करता है जो सच्चे मन से प्रभु शिव की शरण में आकर अपने जीवन की समस्याओं का समाधान चाहता है।