chappal se kese buri najar utare
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Buri Nazar: बुरी नजर का अचूक टोटका: चप्पल से भी उतरती है नजर, जानिए तरीका और मान्यता

Buri Nazar: बुरी नजर का अचूक टोटका: चप्पल से भी उतरती है नजर, जानिए तरीका और मान्यता


भारतीय समाज में ‘नजर लगना’ एक ऐसा विषय है जो विज्ञान के दायरे से परे होते हुए भी करोड़ों दिलों में गहराई से बसा है। चाहे शहर हो या गांव, पढ़ा-लिखा व्यक्ति हो या सीधा-साधा ग्रामीण — लगभग हर कोई कभी न कभी बुरी नजर के प्रभाव को महसूस कर चुका है। जब दवाइयां काम न करें, बच्चा अचानक बीमार हो जाए, खाने-पीने से मुंह मोड़ ले, लगातार रोता रहे, या कोई व्यक्ति बिना वजह परेशान रहने लगे — तो लोग कहते हैं, “किसी की नजर लग गई है!”

भारत में नजर उतारने के लिए कई देसी और पारंपरिक उपाय अपनाए जाते हैं। नींबू, मिर्च, राई, नमक, कपूर जैसे तत्वों से नजर उतारने के टोटके आम हैं। लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि चप्पल से भी नजर उतारी जाती है? सुनने में अजीब लगता है न? लेकिन कई परिवारों में यह टोटका वर्षों से चला आ रहा है, और आज भी जब दवाइयां नहीं काम करतीं — तो यह उपाय आजमाया जाता है।

यह लेख आपको लेकर चलेगा बुरी नजर, चप्पल से नजर उतारने के तरीके, इसके पीछे की मान्यता, और पारंपरिक विश्वास की एक ऐसी यात्रा पर, जिसमें आधुनिकता और आस्था दोनों का मेल देखने को मिलेगा।


🧿 क्या है बुरी नजर?

बुरी नजर का अर्थ है — किसी की ईर्ष्या या नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव, जो आपके स्वास्थ्य, सौंदर्य, समृद्धि या शांति को प्रभावित करता है। यह केवल भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई हिस्सों में मान्य अवधारणा है।


👩‍👦‍👦 पौराणिक उदाहरण: मां यशोदा और कृष्ण

हमारे ग्रंथों में वर्णन मिलता है कि मां यशोदा, कन्हैया की नजर गाय की पूंछ से झाड़कर उतारती थीं। यह दर्शाता है कि मां की ममता अंधविश्वास और विश्वास के बीच का अंतर नहीं देखती। वो केवल अपनी संतान को हर बुरी चीज़ से बचाना चाहती है — यही मातृत्व की पराकाष्ठा है।


👡 चप्पल से नजर उतारने का पारंपरिक टोटका

🗓️ सबसे असरदार दिन:

शनिवार को इस उपाय को करने से इसका प्रभाव ज्यादा माना जाता है।

कैसे करें टोटका:

  1. उस व्यक्ति या बच्चे की चप्पल लें जिसे नजर लगी हो।

  2. चप्पल को उसके सिर से पैर तक उल्टे क्रम (एंटी क्लॉकवाइज) में 7 बार घुमाएं।

  3. फिर घर की दहलीज पर चप्पल को 3 बार जोर-जोर से झाड़ें।

  4. माना जाता है कि बुरी ऊर्जा वहीं गिर जाती है और व्यक्ति नजर दोष से मुक्त हो जाता है।

  5. इसके बाद चप्पल को धोकर फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है।


🧘‍♂️ क्या है इसके पीछे का विश्वास?

वैदिक मान्यताओं के अनुसार:

  • शनि देव का वास पैरों में होता है।

  • राहु, जो भ्रम और नकारात्मकता का प्रतीक है, वही बुरी नजर के लिए जिम्मेदार माना जाता है।

  • चप्पल, जो जमीन से सबसे अधिक संपर्क में रहती है, नकारात्मक ऊर्जा को सोखने में सक्षम होती है।

इसलिए यह माना जाता है कि चप्पल नकारात्मकता को खींच लेती है और व्यक्ति पर पड़ा नजर दोष समाप्त हो जाता है।


🧪 क्या कहता है विज्ञान?

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से नजर उतारने के कोई प्रमाणिक प्रमाण नहीं हैं, लेकिन इसका मानसिक प्रभाव ज़रूर देखा गया है।

  • मन को शांति मिलती है

  • नकारात्मक विचार कम होते हैं

  • संतोष और आत्मविश्वास बढ़ता है

इसलिए यह उपाय आज भी संवेदना और मनोवैज्ञानिक राहत के रूप में किया जाता है।


बुरी नजर से बचाने के ये देसी उपाय सिर्फ टोटके नहीं, बल्कि संस्कार, संवेदनाएं और मां की चिंता का रूप हैं। चाहे चप्पल हो या नींबू-मिर्च — उद्देश्य बस यही है कि प्रिय व्यक्ति सुरक्षित और स्वस्थ रहे। इसलिए यदि विज्ञान भी ना समझे, तब भी ममता के पास अपने ही तर्क होते हैं।


📜 डिस्क्लेमर (अस्वीकरण):

यह लेख प्राचीन परंपराओं, जन-मान्यताओं और सांस्कृतिक अनुभवों पर आधारित है। इसका उद्देश्य किसी अंधविश्वास को बढ़ावा देना नहीं, बल्कि भारतीय लोक-परंपराओं की जानकारी साझा करना है। किसी भी उपाय को अपनाने से पहले विशेषज्ञ सलाह जरूर लें। इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी के प्रयोग की ज़िम्मेदारी पाठक की स्वयं होगी।


विमल "हिंदुस्तानी"
"लेखक ने दिल्ली एनसीआर के प्रमुख संस्थान से Mass Communication & Journalisam with Advertisment मे दो वर्ष अध्ययन किया है एवं पिछले दस वर्षों से मीडिया जगत से जुड़े हैं। उन्होंने विभिन्न न्यूज़ चैनलों में संवाददाता के रूप में कार्य किया है और एक समाचार पत्र का संपादन, प्रकाशन तथा प्रबंधन भी स्वयं किया है। लेखक की विशेषता यह है कि वे भीड़ के साथ चलने के बजाय ऐसे विषयों को उठाते हैं जो अक्सर अनछुए रह जाते हैं। उनका उद्देश्य लेखनी के माध्यम से भ्रम नहीं, बल्कि ‘ब्रह्म’ – यानि सत्य, सार और सच्चाई – को प्रस्तुत करना है।"