📅 आज का पंचांग (Aaj Ka Panchang 14 July 2025)
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दिनांक: सोमवार, 14 जुलाई 2025
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तिथि: कृष्ण पक्ष चतुर्थी – रात 11:59 बजे तक
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नक्षत्र: धनिष्ठा – सुबह 6:49 बजे तक
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योग: आयुष्मान – शाम 4:14 बजे तक
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करण:
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बव – दोपहर 12:33 बजे तक
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बालव – रात 11:59 बजे तक
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☀️ सूर्योदय-सूर्यास्त और चंद्रोदय
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सूर्योदय: सुबह 05:33 बजे
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सूर्यास्त: शाम 07:21 बजे
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चंद्रोदय: रात 09:55 बजे
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चंद्रास्त: 15 जुलाई को सुबह 08:53 बजे
🌞 आज का शुभ मुहूर्त
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अभिजीत मुहूर्त: 11:59 AM – 12:55 PM
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अमृत काल: 15 जुलाई, रात 11:21 PM – 12:55 AM
🕳️ अशुभ समय
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राहुकाल: सुबह 07:16 – 09:00 बजे
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यमगंड काल: 10:43 – 12:27 बजे
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गुलिक काल: 02:10 – 03:54 बजे
🙏 सावन का पहला सोमवार (Sawan First Somwar 2025)
इस बार सावन का पहला सोमवार 14 जुलाई को पड़ रहा है। सावन मास शिव भक्ति के लिए सबसे उत्तम माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से भगवान भोलेनाथ शीघ्र प्रसन्न होते हैं।
🔱 पूजा विधि
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ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें।
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शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी और शक्कर से अभिषेक करें।
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बेलपत्र, धतूरा, सफेद फूल, शमी पत्र आदि अर्पित करें।
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“ॐ नमः शिवाय” मंत्र का 108 बार जप करें।
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भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश और नंदी की पूजा करें।
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व्रत के दौरान फलाहार करें, अन्न न लें।
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संध्या में पुनः पूजन करें और चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करें।
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अगले दिन व्रत पारण करें और दान-दक्षिणा करें।
🐘 गजानन संकष्टी चतुर्थी (Gajanana Sankashti Chaturthi 2025)
14 जुलाई को ही गजानन संकष्टी चतुर्थी भी पड़ रही है। यह व्रत विशेष रूप से संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है।
🌼 पूजा विधि
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पूजा स्थान को शुद्ध कर गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें।
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उन्हें गंगाजल स्नान कराकर वस्त्र, फूल, अक्षत, चंदन अर्पित करें।
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तिल के लड्डू और नारियल का भोग लगाएं।
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संकष्टी व्रत कथा का पाठ करें।
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रात को चाँद देखकर पंचोपचार पूजा करें और दूध से अर्घ्य दें।
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प्रसाद ग्रहण कर व्रत पारण करें।
📌 चतुर्थी तिथि
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प्रारंभ: 14 जुलाई, 01:02 AM
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समाप्ति: 14 जुलाई, 11:59 PM
🌟 आज बन रहे शुभ योग (Shubh Yog)
इस दिन धनिष्ठा नक्षत्र और आयुष्मान योग का संयोग बन रहा है, जो रोगों से मुक्ति, आरोग्य और लंबी उम्र प्रदान करता है। ये योग पूजा-पाठ, व्रत, जप-तप और अनुष्ठान के लिए अत्यंत शुभ माने जाते हैं।
🙌 विशेष मान्यता
सावन सोमवार को शिवजी को जल चढ़ाना और व्रत रखना विशेष फलदायी होता है। कुंवारी कन्याएं अच्छे वर के लिए, विवाहित महिलाएं सुखी वैवाहिक जीवन के लिए और पुरुष जीवन की बाधाओं से छुटकारे हेतु इस व्रत को करते हैं।
📌 नोट: इस दिन दो महान पर्व — सावन का पहला सोमवार और गजानन संकष्टी चतुर्थी — एक साथ पड़ने से इसका धार्मिक महत्व और अधिक बढ़ जाता है।
(डिसक्लेमर/अस्वीकरण)
यह लेख धार्मिक मान्यताओं और पंचांग आधारित जानकारी पर आधारित है। हमने सभी जानकारी को प्रमाणिक स्रोतों और विद्वानों की मान्यताओं के आधार पर संकलित किया है। फिर भी किसी विशेष धार्मिक कृत्य को करने से पहले योग्य पंडित या ज्योतिषाचार्य की सलाह अवश्य लें।