🪔 गुप्त नवरात्रि सप्तमी 2025: आज की देवी माँ कालरात्रि
आज दिनांक 2 जुलाई 2025, गुप्त नवरात्रि का सातवाँ दिन (सप्तमी तिथि) है। इस दिन माँ कालरात्रि की उपासना की जाती है। माँ कालरात्रि का स्वरूप अत्यंत भयावह, परंतु कृपालु और रक्षक होता है। वे संकटों का नाश करती हैं और साधकों को भय से मुक्ति दिलाती हैं। गुप्त नवरात्रि में इनकी साधना विशेष फलदायी मानी जाती है।
🌌 माँ कालरात्रि का स्वरूप
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शरीर: काला वर्ण
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वाहन: गर्दभ (गधा)
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हाथों में: एक हाथ में तलवार, एक में लौ
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मुद्रा: अभय मुद्रा और वर मुद्रा
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विशेषता: वे अंधकार को चीरने वाली शक्ति हैं, जो तामसिक और नकारात्मक शक्तियों का संहार करती हैं।
माँ कालरात्रि को तांत्रिक साधना का केंद्र भी माना जाता है। इनकी पूजा विशेषरूप से भय, रोग, बाधा, शत्रु तथा तांत्रिक प्रभावों से मुक्ति के लिए की जाती है।
🔥 कालरात्रि माता की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, दानव शुंभ-निशुंभ और अत्याचारी रक्तबीज ने तीनों लोकों में आतंक मचा दिया था। सभी देवता भगवान शिव के पास सहायता मांगने पहुंचे। शिव जी ने माता पार्वती से राक्षसों के वध के लिए आग्रह किया। माता ने दुर्गा का रूप धारण कर युद्ध किया।
जब रक्तबीज से युद्ध हुआ, तो हर बार उसके खून की बूंदें गिरने पर नए रक्तबीज पैदा हो जाते थे। तब मां ने अपना कालरात्रि रूप धारण किया और जैसे ही रक्तबीज का रक्त धरती पर गिरता, मां उसे पी जातीं। इस प्रकार उन्होंने रक्तबीज का संहार किया।
यह रूप अति शक्तिशाली और भयावह होते हुए भी भक्तों के लिए कल्याणकारी है। यह रूप हमें यह सिखाता है कि बुराई कितनी भी प्रबल क्यों न हो, सच्चाई और शक्ति के समक्ष उसका नाश निश्चित है।
🧘♀️ सप्तमी पूजा विधि
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स्नान आदि कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
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पूजन स्थल को साफ करें और माँ कालरात्रि की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
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लाल या काले वस्त्र, लाल पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित करें।
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माँ को गुड़हल या लाल कमल अर्पित करना श्रेष्ठ माना गया है।
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मंत्र जाप:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे
ॐ कालरात्र्यै नमः
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सप्तशती का पाठ या देवी कवच का पाठ करें।
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अंत में माँ की आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
🪔 माँ कालरात्रि की आरती (हिंदी में)
जयति जय काली, महाकाली माता।
दुष्ट दलन करके, करती हो त्राता॥
कालरात्रि विकराल रूप धारी,
भक्तों को सुख देती भारी।
चंडी रूप धारिणी भवानी,
त्रिनयनी काली महासयानी॥
जय जय काली, जय महाकाली,
शिव संग बैठी, अति विकराली।
सिंह वाहिनी, दुष्ट विनाशी,
भक्तों की रक्षक, शुभ सुखदाशी॥
कर में तलवार, वर और अभय,
चरणों में गिरें, हो न भय॥
घोर अंधेरा हो दूर तुम्हारे,
भय मिटे, जीवन बने हमारे॥
आरती माता कालरात्रि की,
भव भय हारिणी शक्ति स्वाति की।
साधक को दो वरदानी,
भवसागर से पार लगानी॥
🌟 माँ कालरात्रि पूजा के लाभ
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भय का नाश: जीवन में छिपे भय, मानसिक दबाव, अज्ञात बाधाओं का अंत।
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कर्ज से मुक्ति: आर्थिक संकट और कर्ज से राहत के लिए लाभकारी।
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शत्रु नाश: विरोधियों, शत्रु बाधाओं और काले जादू से सुरक्षा।
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साहस और आत्मविश्वास: आत्मबल और मानसिक शक्ति की प्राप्ति।
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सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं: विशेषकर तांत्रिक मार्ग में बढ़ने वालों को सफलता मिलती है।
🔔 क्या न करें सप्तमी के दिन?
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किसी का अपमान या कटु वचन न कहें।
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लहसुन, प्याज, मांस, शराब आदि का सेवन न करें।
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मन में शंका, क्रोध या नकारात्मकता न रखें।
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पूजा के समय मोबाइल या अन्य ध्यान भटकाने वाले उपकरणों से दूरी रखें।
🧘 विशेष साधना
सप्तमी को मध्यरात्रि में ध्यान और जाप करना अत्यंत फलदायी होता है। यदि आप कोई विशेष मनोकामना रखते हैं, तो आज के दिन माँ कालरात्रि का ध्यान करके गुप्त रूप से व्रत एवं साधना करें।
📜 निष्कर्ष
गुप्त नवरात्रि का सातवाँ दिन माँ कालरात्रि को समर्पित होता है। यह दिन केवल भयावह रूप की उपासना नहीं, बल्कि जीवन के अंधकार को समाप्त करने की साधना है। श्रद्धा, भक्ति और नियमों के साथ माँ का पूजन करने से समस्त समस्याओं का समाधान होता है।
📜 (डिसक्लेमर/अस्वीकरण)
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