Panchkuiyan Mandir Jhansi
झाँसी के ऐतिहासिक किले की तलहटी में बसा पंचकुइयाँ मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह लोक विश्वास, परंपरा, इतिहास और संस्कारों का जीवंत प्रतीक भी है। जहाँ एक ओर इसकी भव्यता बुंदेल और मराठा काल की याद दिलाती है, वहीं दूसरी ओर यहाँ की मान्यताएं आज भी हजारों लोगों की श्रद्धा से जुड़ी हुई हैं।
🛕 इतिहास और निर्माण
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प्रारंभिक रूप: यह मंदिर चंदेल वंश के समय एक छोटे से रूप में मौजूद था। उस समय यहां माँ शीतला और संकटा माता की छोटी प्रतिमाएं स्थापित थीं।
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बुंदेला युग: 16वीं शताब्दी में ओरछा के राजा वीर सिंह बुंदेला ने झाँसी किले का निर्माण करवाया और इस छोटे मंदिर को एक विशाल मंदिर के रूप में विकसित किया। उन्हीं के द्वारा विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित की गईं।
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मराठा काल: रानी लक्ष्मीबाई के काल में यह मंदिर एक महत्वपूर्ण पूजा स्थल बन चुका था। रानी स्वयं प्रतिदिन यहाँ पूजा करने आती थीं।
🧭 पाँच कुएं और वर्ण व्यवस्था का प्रतीक
मंदिर के नाम का रहस्य छुपा है इसके परिसर में स्थित पाँच कुओं में, जिन्हें “पंचकुइयाँ” कहा जाता है।
माना जाता है कि ये कुएं वर्ण व्यवस्था के आधार पर बनाए गए थे — यानि अलग-अलग सामाजिक वर्गों के लिए अलग-अलग कुएं।
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इनमें से एक कुआं मंदिर की मुख्य देवी के लिए आरक्षित था, जिसे अति पवित्र माना जाता है।
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बाकी कुएं अलग वर्गों और समाज के लोगों के लिए जल प्राप्ति और पूजा कार्य हेतु उपयोग किए जाते थे।
🌺 बीमारियों के लिए अलग-अलग देवियां – लोक मान्यताओं की जीवंत परंपरा
यह मंदिर केवल शक्ति उपासना का स्थान नहीं है, बल्कि जनमानस की पीड़ा और विश्वास का ठिकाना भी है। यहाँ हर एक बीमारी और संकट के लिए एक विशिष्ट देवी स्थापित है।
👇 मान्यताएं और संबंधित देवियां:
बीमारी / संकट | देवी | चढ़ावा / परंपरा |
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मोतीझरा (स्किन एलर्जी) | मोतीझरा माता | पालक की भाजी चढ़ाई जाती है |
खसरा (Measles) | बोदरी माता | सफेद कागज पर पालक चढ़ाने की परंपरा |
बड़ी चेचक | खिलौनी माता / खिलौना देवी | चमेली का तेल चढ़ाने की मान्यता |
सुहाग की रक्षा | बीजासेन माता | विवाहित महिलाएं विशेष पूजा करती हैं |
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कई लोग इस मंदिर को अपनी कुलदेवी का मंदिर मानते हैं और पीढ़ियों से यहां पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं।
🌸 धार्मिक महत्त्व और उत्सव
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हर दिन सैकड़ों श्रद्धालु यहाँ दर्शन के लिए आते हैं।
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महाशिवरात्रि, नवरात्रि, और चैत्र-अष्टमी के समय यहाँ विशेष भीड़ और आयोजन होता है।
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मंदिर में प्रसाद, भजन-कीर्तन, जागरन, और मंदिर की सजावट विशेष आकर्षण होते हैं।
🌿 शांति, लोक संस्कृति और सामाजिक सेवा का केंद्र
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यहाँ का वातावरण अत्यंत शांत, आध्यात्मिक और प्रकृति से जुड़ा हुआ है।
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मंदिर समिति द्वारा समय-समय पर भंडारे, चिकित्सा शिविर, सांस्कृतिक आयोजन और रक्तदान कैंप जैसे कार्य किए जाते हैं।
✨ पंचकुइयाँ मंदिर: जहाँ आस्था पनपती है, इतिहास बोलता है, और संस्कार जीवित रहते हैं
पंचकुइयाँ मंदिर सिर्फ एक मंदिर नहीं, बल्कि झाँसी की आत्मा है। यह उन अनकहे किस्सों, लोक आस्थाओं, और ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह है जिसने बुंदेलखंड को धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक ऊंचाइयों तक पहुँचाया।
यह मंदिर आज भी उस जादुई विश्वास का केंद्र बना हुआ है जहाँ लोग अपने दुख-दर्द, बीमारियाँ और जीवन की मुश्किलें लेकर आते हैं, और देवी माँ की कृपा पाकर एक नयी ऊर्जा के साथ लौटते हैं।
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