ऑपरेशन सिंदूर पर सपा सांसद का तीखा बयान
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संसद में सपा सांसद का बड़ा आरोप: “सरकार ने जानबूझकर इंतजार किया”

🧨 संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा, विपक्ष ने उठाए गंभीर सवाल

देश की सुरक्षा से जुड़ा ऑपरेशन सिंदूर, जो हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम इलाके में आतंकियों के खिलाफ चलाया गया, सोमवार (28 जुलाई 2025) को संसद के मानसून सत्र में चर्चा का विषय बना। इस बहस के दौरान समाजवादी पार्टी के सांसद रमाशंकर राजभर ने सरकार की मंशा और कार्यशैली पर तीखे सवाल उठाए।


🗣️ “अगर बहस पहले होती, तो आतंकी पहले मारे जाते” – राजभर

आजतक न्यूज चैनल से बातचीत में सपा सांसद ने कहा,

“आज ऑपरेशन सिंदूर पर बहस थी, इसलिए पहलगाम में आतंकियों को ढेर किया गया। अगर यह बहस पहले हो गई होती, तो आतंकियों का खात्मा भी पहले हो सकता था।”

राजभर ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने जानबूझकर इस ऑपरेशन को बहस वाले दिन तक टालकर रखा। उन्होंने कहा कि यह सरकार की “चालाकी” है, जो हर मौके को राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल करती है।


🛑 सरकार की नीयत पर सवाल

रमाशंकर राजभर ने सरकार की मंशा पर सीधा सवाल उठाते हुए कहा:

“अगर सरकार सक्रिय होती, तो ये काम पहले भी हो सकता था। महीनों के बाद यह ऑपरेशन हुआ है, इसका जवाब सरकार को देना चाहिए।”

उन्होंने यह भी जोड़ा कि यदि संसद में पहले ही आतंकवाद पर बहस होती, तो शायद पहलगाम हमले में शामिल चारों आतंकियों का सफाया बहुत पहले हो गया होता।


🗳️ “सरकार हर चीज में वोटबाजी करती है”

राजभर यहीं नहीं रुके। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वो हर मसले को चुनावी लाभ के चश्मे से देखती है। उन्होंने कहा:

“सरकार बहुत चालाक है। ये हर चीज में वोटबाजी करती है। अगर आज के दिन आतंकी मारे गए हैं, तो रक्षा मंत्री को इसकी जानकारी सदन में देनी चाहिए थी। लेकिन उन्होंने नहीं बताया कि एनकाउंटर हुआ।”


जवान, किसान और गरीब की सुरक्षा होनी चाहिए प्राथमिकता

सलेमपुर से सपा सांसद रमाशंकर राजभर ने अपने भाषण में देश की रक्षा नीति की प्राथमिकताओं को लेकर सुझाव भी दिए। उन्होंने कहा:

“बॉर्डर पर जवान की जान सुरक्षित हो, किसान का खेत सुरक्षित हो और गरीब का पेट सुरक्षित हो – ये हमारी नीति होनी चाहिए।”

उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्री ने भले ही 100 आतंकियों के मारे जाने की जानकारी दी हो, लेकिन पहलगाम हमले में शामिल 4 आतंकियों का विशेष रूप से जिक्र नहीं किया गया।


🔍 सवाल जो उठे

  • क्या ऑपरेशन सिंदूर की टाइमिंग जानबूझकर तय की गई थी?

  • क्या सरकार ने संसद की बहस का इंतजार किया?

  • क्या आतंकवाद पर कार्रवाई भी अब राजनीतिक फैसले के तहत हो रही है?

  • क्या जनता को पूरी पारदर्शिता से सूचना दी जा रही है?

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    (डिस्क्लेमर/अस्वीकरण)

    यह लेख संसदीय चर्चा और समाचार एजेंसी आजतक की रिपोर्टिंग पर आधारित है। इसमें व्यक्त विचार संबंधित नेताओं के बयान हैं, जिनसे TV10 Network का सहमति या असहमति होना आवश्यक नहीं है। हमारा उद्देश्य पाठकों को निष्पक्ष रूप से सूचना देना है।

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