बिहार में 52 लाख वोटरों के नाम होंगे वोटर लिस्ट से बाहर, SIR प्रक्रिया में चुनाव आयोग का बड़ा खुलासा
पटना – बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची को लेकर बड़ा बदलाव होने जा रहा है। भारतीय चुनाव आयोग (ECI) ने SIR (Special Intensive Revision) यानी विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया के अंतर्गत 52 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटाने का निर्णय लिया है। यह आंकड़ा 1 अगस्त को जारी होने वाली ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में परिलक्षित होगा।
क्यों हटाए जा रहे हैं इतने मतदाता?
ECI के अनुसार, जो 52 लाख से अधिक वोटर हटाए जा रहे हैं, उनमें शामिल हैं:
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18,66,869 मृत मतदाता
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26,01,031 स्थानांतरित मतदाता (जो दूसरी जगह शिफ्ट हो चुके हैं)
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7,50,742 ऐसे मतदाता जिनके नाम एक से अधिक स्थानों पर दर्ज हैं
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11,484 ऐसे मतदाता जिनका कोई पता ही नहीं मिल पाया
यह आंकड़े दर्शाते हैं कि राज्य में काफी संख्या में मतदाता सूची में अनावश्यक और गलत प्रविष्टियां थीं, जिन्हें अब साफ किया जा रहा है।
क्या है SIR प्रक्रिया?
SIR यानी Special Intensive Revision, एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें BLO (Booth Level Officer) घर-घर जाकर मतदाताओं की जानकारी जुटाते हैं और मतदाता सूची को अपडेट करते हैं।
चुनाव आयोग का उद्देश्य है कि सिर्फ वास्तविक और सक्रिय मतदाता ही सूची में बने रहें।
अब तक की स्थिति:
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7,89,69,844 कुल मतदाता हैं बिहार में।
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7,16,04,102 फॉर्म प्राप्त हो चुके हैं (कुल का 90.67%)
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7,13,65,460 फॉर्म डिजिटाइज हो चुके हैं (90.37%)
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अब भी 2.70% (21,35,616) मतदाता ऐसे हैं जिन्होंने अभी तक फॉर्म नहीं भरा है।
BLO और BLA मिलकर कर रहे कार्य
चुनाव आयोग के BLO अब राजनीतिक दलों के द्वारा नियुक्त BLA (Booth Level Agents) के साथ मिलकर शेष मतदाताओं की जानकारी इकट्ठा कर रहे हैं।
यदि किसी मतदाता का पता, जानकारी या फॉर्म समय पर नहीं मिलता है, तो उसका नाम आगामी ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से हटाया जा सकता है।
संभावित प्रभाव
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राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं – 52 लाख से ज्यादा मतदाताओं का हटना कई सीटों पर चुनावी नतीजों को प्रभावित कर सकता है।
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पारदर्शिता बढ़ेगी – मतदाता सूची से डुप्लिकेट और मृत वोटरों को हटाने से चुनाव अधिक पारदर्शी होंगे।
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फर्जी मतदान में कमी – यह कदम फर्जी मतदान की संभावनाओं को भी काफी हद तक कम करेगा।
आगे क्या?
1 अगस्त 2025 को चुनाव आयोग द्वारा ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी की जाएगी। इसके बाद नागरिकों को आपत्ति या संशोधन के लिए समय मिलेगा, जिससे वे अपने नाम जोड़ या सुधार सकते हैं।
बिहार में SIR प्रक्रिया के तहत वोटर लिस्ट से 52 लाख से ज्यादा मतदाताओं के नाम हटाए जाना चुनावी प्रक्रिया की एक बड़ी सर्जरी है। इससे एक ओर जहां मतदाता सूची में पारदर्शिता और विश्वसनीयता आएगी, वहीं दूसरी ओर यह कई राजनीतिक दलों के लिए रणनीतिक चुनौती भी बन सकता है।
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(डिस्क्लेमर)
इस लेख में दी गई जानकारी आधिकारिक स्रोतों और मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। tvtennetwork किसी भी प्रकार की ज़िम्मेदारी की पुष्टि नहीं करता। किसी भी अपडेट के लिए आधिकारिक वेबसाइट और चुनाव आयोग की अधिसूचनाओं को अवश्य देखें।