रामा टेक्नोलॉजी : अब सिर्फ मिसाइल नहीं, अब ‘मौन’ हमला करेगा भारत का ड्रोन!
भारत, जो आज दुनिया के प्रमुख रक्षा शक्तियों में गिना जाने लगा है, लगातार नई तकनीकों के माध्यम से अपनी सैन्य ताकत को मजबूत कर रहा है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के ज़रिए भारत ने हाल ही में यह स्पष्ट कर दिया कि वह किसी भी खतरे से निपटने के लिए तैयार है। लेकिन अब भारत एक और महत्वपूर्ण और क्रांतिकारी दिशा में कदम बढ़ा चुका है — देश में बन रहा है पहला ‘ड्यूल स्टेल्थ ड्रोन’, जो ‘रामा’ नामक अत्याधुनिक तकनीक से लैस होगा।
यह कोई साधारण ड्रोन नहीं, बल्कि यह दुश्मन के रडार और इंफ्रारेड सेंसर दोनों को एक साथ चकमा देने की क्षमता रखता है। इसका मतलब यह है कि युद्ध के समय यह दुश्मन की नजर में आए बिना गुप्त रूप से ऑपरेशन कर सकता है।
क्या है ‘रामा’ तकनीक?
‘रामा’ यानी Radar Absorption and Multispectral Adaptation — एक अत्याधुनिक नैनो टेक्नोलॉजी आधारित कोटिंग है। यह कोटिंग विशेष तौर पर इस उद्देश्य से तैयार की गई है कि यह:
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दुश्मन के रडार सिग्नल को अवशोषित कर उन्हें ऊष्मा में बदल देती है, जिससे रडार इसे पहचान नहीं पाता।
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ड्रोन की थर्मल या इंफ्रारेड पहचान को भी लगभग 97% तक कम कर देती है।
इस तकनीक को भारत की दो स्टार्टअप कंपनियों — वीरा डायनामिक्स (Hyderabad) और बिनफोर्ड रिसर्च लैब्स ने रक्षा मंत्रालय के सहयोग से विकसित किया है। यह तकनीक भारत को आत्मनिर्भर रक्षा टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में एक नई ऊंचाई पर ले जाती है।
ड्यूल स्टेल्थ ड्रोन की विशेषताएं
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वजन: लगभग 100 किलोग्राम
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पेलोड क्षमता: 50 किलोग्राम
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सफलता दर: पारंपरिक ड्रोन की तुलना में दुश्मन की सीमा में 80-85% सफलता दर, जबकि सामान्य ड्रोन की यह दर 25-30% ही होती है।
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उपयोग: निगरानी, गोपनीय हमले, सीमा पार गुप्त ऑपरेशन, युद्धक्षेत्र में लंबी टिकाऊ क्षमता।
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लॉन्च: 2025 के अंत तक इसे भारतीय नौसेना में शामिल किया जा सकता है।
वीरा डायनामिक्स के CEO साई तेजा ने जानकारी दी कि यह तकनीक अपने अंतिम परीक्षण के दौर में पहुंच चुकी है और उम्मीद की जा रही है कि इसे जल्द ही भारतीय रक्षा बलों के बेड़े में शामिल किया जाएगा।
रडार और इंफ्रारेड सिस्टम को चकमा कैसे देगा ये ड्रोन?
युद्ध में जब कोई ड्रोन भेजा जाता है, तो सबसे पहले दुश्मन उसे रडार से ट्रैक करता है, फिर इंफ्रारेड गाइडेंस सिस्टम से उसे निशाना बनाता है। लेकिन इस ड्यूल स्टेल्थ ड्रोन में ‘रामा’ कोटिंग की वजह से:
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रडार सिग्नल उसमें समा जाते हैं, यानी ड्रोन गायब जैसा दिखता है।
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थर्मल सिग्नेचर यानी गर्मी की पहचान भी नहीं हो पाती।
इससे यह ड्रोन दुश्मन के इलाके में गुप्त रूप से गहराई तक प्रवेश कर सकता है और प्रभावी हमला कर सकता है, वो भी बिना पकड़े गए।
साथ में बैलिस्टिक मिसाइलों का सफल परीक्षण
भारत ने हाल ही में ओडिशा के चांदीपुर परीक्षण रेंज से दो प्रमुख मिसाइलों का सफल परीक्षण किया:
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पृथ्वी-2 मिसाइल:
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रेंज: 350 किमी
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पेलोड: 1000 किलोग्राम
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विशेषता: पूरी तरह स्वदेशी और सटीक मारक क्षमता
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अग्नि-1 मिसाइल:
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रेंज: 700–900 किमी
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पेलोड: 1 टन
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विशेषता: मध्यम दूरी की मारक क्षमता, परमाणु क्षमता
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भारत की रक्षा नीति में क्रांति
यह नया ड्यूल स्टेल्थ ड्रोन न केवल भारत की सुरक्षा रणनीति में बदलाव लाएगा, बल्कि इसे वैश्विक रक्षा मंच पर एक शक्तिशाली तकनीकी राष्ट्र के रूप में स्थापित करेगा। ‘रामा’ जैसी तकनीकें यह साबित करती हैं कि अब भारत आयात पर नहीं, स्वदेशी नवाचार और स्टार्टअप्स पर भरोसा कर रहा है। आने वाले समय में यह ड्रोन न केवल भारतीय सेनाओं की ताकत बनेगा, बल्कि निर्यात का भी प्रमुख माध्यम बन सकता है।
(डिस्क्लेमर)
यह लेख उपलब्ध जानकारियों, रक्षा मंत्रालय से जुड़े सूत्रों, कंपनियों द्वारा जारी विवरण एवं मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें दी गई तकनीकी या सामरिक जानकारियां वास्तविक परिस्थितियों के अनुसार परिवर्तित हो सकती हैं। हमारा उद्देश्य केवल सूचनात्मक सामग्री उपलब्ध कराना है।