🕉️ Sawan Shiv Puja: शिव मंदिर में पूजा के बाद क्यों बजाई जाती है 3 बार ताली
सावन मास में भोलेनाथ की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस पवित्र महीने में हर ओर हर-हर महादेव की गूंज सुनाई देती है, और शिवालयों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। पर क्या आपने ध्यान दिया है कि शिव मंदिर में पूजा के बाद अक्सर भक्त भगवान शिव के सामने तीन बार ताली बजाते हैं? यह कोई सामान्य परंपरा नहीं, बल्कि एक गहरा धार्मिक और आध्यात्मिक भाव है।
🔱 तीन तालियों का धार्मिक रहस्य
धार्मिक ग्रंथों और लोक मान्यताओं के अनुसार, तीन बार ताली बजाने की परंपरा का संबंध रावण और प्रभु श्रीराम से भी है। कहा जाता है कि इन दोनों महान व्यक्तित्वों ने शिव पूजन के बाद तीन बार ताली बजाकर भगवान शिव की आराधना पूर्ण की थी।
🥁 पहली ताली – उपस्थिति की घोषणा:
शिवलिंग के समक्ष पहली ताली बजाकर भक्त अपने आने और भक्ति भाव की सूचना भोलेनाथ को देता है। यह दर्शाता है कि हम भक्ति भाव से उपस्थित हैं।
🪙 दूसरी ताली – समृद्धि की कामना:
दूसरी ताली में यह भाव निहित होता है कि भगवान शिव हमारे घर का भंडार सदैव भरा रखें, और जीवन में कभी अभाव न हो।
🙏 तीसरी ताली – क्षमा प्रार्थना और शरणागत भाव:
तीसरी और अंतिम ताली में भक्त अपनी भूलों की क्षमा याचना करता है और भगवान शिव के चरणों में स्थान देने की विनती करता है।
📜 पुराणों और मान्यताओं में तीन तालियों का उल्लेख
-
रावण ने कैलाश पर तपस्या कर शिव को प्रसन्न किया था और पूजा के अंत में तीन तालियां बजाईं। शिवजी की कृपा से उसे लंका का अधिपत्य मिला।
-
रामायण में वर्णन है कि श्रीराम ने रामसेतु बनाने से पहले शिवलिंग की स्थापना कर पूजन किया और तीन बार ताली बजाई, जिससे उनका कार्य सफल हुआ।
🛑 शिव पूजा में ताली बजाने का समय
यह समझना जरूरी है कि शिवजी ध्यानमग्न योगी हैं। अतः हर समय उनके सामने ताली नहीं बजानी चाहिए।
✅ संध्या वंदन, आरती, या विशेष पूजन के समय ही ताली या घंटी बजाना उचित है।
❌ सामान्य समय में ध्यान में विघ्न डालना अशुभ माना जाता है।
📿 तीन तालियों में छिपे गूढ़ आध्यात्मिक अर्थ:
-
जागृति (Awakening) – आत्मा को शिवचेतना से जोड़ने का प्रयास।
-
कृतज्ञता (Gratitude) – जीवन में जो मिला है, उसके लिए आभार।
-
समर्पण (Surrender) – अपने अहंकार का विसर्जन और पूर्ण समर्पण।
सावन के इस पुण्य महीने में जब आप शिवलिंग के समक्ष पूजन करें, तो तीन तालियों की इस गूढ़ परंपरा को ज़रूर अपनाएं। यह केवल एक सांकेतिक क्रिया नहीं, बल्कि आपके संकल्प, श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है।
, केवल संध्यावंदन या विशेष पूजन के समय ही तीन बार ताली बजाना शास्त्र सम्मत है।रावण और राम दोनों ने यह परंपरा निभाई थी? शिव पूजन के बाद तीन बार ताली बजाकर भगवान शिव को प्रसन्न किया था।, यह भावनात्मक और आध्यात्मिक समर्पण दर्शाता है जिससे पुण्य और मानसिक शांति मिलती है।