सावन में गूंजता हर हर महादेव, झांसी में शिवभक्तों का सैलाब
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🔱 झांसी: मढ़िया महादेव मंदिर का हुआ कायाकल्प, सावन में उमड़ती है भक्ति की गंगा

🔱  मढ़िया महादेव मंदिर: झांसी की धरती पर आस्था, इतिहास और संघर्ष का प्रतीक

झांसी, उत्तर प्रदेश की वीरभूमि पर स्थित मढ़िया महादेव मंदिर केवल एक शिवधाम नहीं, बल्कि इतिहास, आस्था और परंपरा का संगम है। सावन का पावन महीना जब आता है, तो यहाँ भक्ति की गूंज, घंटियों की मधुर ध्वनि और भक्तों की श्रद्धा हर दिशा में फैल जाती है।

यह वही स्थल है, जहाँ कभी रानी लक्ष्मीबाई स्वयं शिवलिंग पर जल चढ़ाने आया करती थीं। यह वही मंदिर है, जिसे कभी अंग्रेजों की तोपों का सामना करना पड़ा। और यह वही मंदिर है, जिसकी रक्षा के लिए योगी आदित्यनाथ को 2013 में गिरफ्तार होना पड़ा था।


🚫 अतिक्रमण से आज़ादी तक का संघर्ष

इस मंदिर ने वर्षों तक अतिक्रमण का बोझ सहा। मंदिर के आसपास के कई हिस्से अवैध कब्जे में चले गए थे। 2013 में जब योगी आदित्यनाथ, उस समय हिन्दू युवा वाहिनी के संरक्षक के रूप में, झांसी आ रहे थे तो उन्हें कानपुर में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। उद्देश्य था – मंदिर को अतिक्रमण मुक्त कराना और शिवभक्तों के अधिकारों की रक्षा करना।

उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद इस मंदिर की काया पलट की दिशा में निर्णायक कदम उठाए गए।


🏗️ 2021 में कायाकल्प की नींव, 46.49 लाख की सौगात

वर्ष 2021 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मढ़िया महादेव मंदिर के सौंदर्यीकरण और पर्यटन विकास कार्य का विधिवत शिलान्यास किया। प्रदेश सरकार द्वारा 46.49 लाख रुपये की लागत से मंदिर परिसर की साफ-सफाई, जल निकासी, टाइलिंग, प्रकाश व्यवस्था और अन्य मूलभूत सुविधाओं का पुनर्निर्माण किया गया।

मंदिर के पीछे नई सड़क का निर्माण भी कराया गया, जिससे आने-जाने वाले श्रद्धालुओं को सुगमता प्राप्त हो रही है।


📜  इतिहास में दर्ज मंदिर का गौरव

मढ़िया महादेव मंदिर का ऐतिहासिक महत्व किसी से छिपा नहीं है। बुंदेलखंड क्षेत्र में गुसाईं संतों की परंपरा सदियों पुरानी है। इस मंदिर में मुख्य शिवलिंग के चारों ओर 12 छोटे मंदिर हैं, जिन्हें गुसाईं संतों की समाधियाँ माना जाता है।

इतिहासकारों के अनुसार, नवीं शताब्दी से बुंदेलखंड में गुसाईं परंपरा के प्रमाण मिलते हैं। यह मंदिर उन्हीं संतों के तप, त्याग और आस्था की धरोहर है।


👑 रानी लक्ष्मीबाई और मढ़िया महादेव: आस्था का नायाब रिश्ता

बताते हैं कि रानी लक्ष्मीबाई हर सोमवार को यहाँ आकर जलाभिषेक और पूजन करती थीं। जब अंग्रेजों को इसकी जानकारी हुई, तो उन्होंने रानी को यहीं से गिरफ्तार करने की योजना बनाई। लेकिन रानी को पूर्व सूचना मिल गई और उन्होंने मंदिर आना बंद कर दिया।

1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजों की तोपों के गोले जब झांसी पर गिरे, तो एक गोला इस मंदिर की दीवार से आ टकराया। आज भी उस हमले के निशान मंदिर की दीवारों पर मौजूद हैं, जो इसके शौर्य और संघर्ष की चुप साक्षी हैं।


🚩 शिव बारात: आंदोलन से परंपरा बनी भक्ति यात्रा

2007 में, झांसी सदर विधायक रवि शर्मा ने मंदिर की दुर्दशा और प्रशासन की उदासीनता के खिलाफ एक अनोखा मार्ग अपनाया – शिव बारात का आयोजन

जो शुरुआत में एक प्रतीकात्मक चेतावनी थी, वह आज एक धार्मिक परंपरा बन चुकी है। हर साल शिवरात्रि पर यह बारात मुरली मनोहर मंदिर से निकलकर, शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए मढ़िया महादेव मंदिर पहुँचती है।


🌧️ सावन में भक्तों का सैलाब, विशेष व्यवस्थाएँ

सावन का महीना इस मंदिर की आध्यात्मिक ऊर्जाओं से सराबोर होता है। खासकर सोमवार के दिन मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालु जलाभिषेक के लिए आते हैं।

प्रशासन द्वारा कांवड़ यात्रियों के लिए विशेष व्यवस्था की जाती है – जैसे पेयजल, स्वास्थ्य शिविर, सुरक्षा बलों की तैनाती और कतारबद्ध दर्शन की व्यवस्था। हर सोमवार को मंदिर परिसर भक्ति, भजन और भोलेनाथ की जयकारों से गूंज उठता है।


🧳 धार्मिक पर्यटन का नया आयाम

मढ़िया महादेव मंदिर आज न केवल एक धार्मिक केंद्र, बल्कि झांसी के सांस्कृतिक पर्यटन का भी हिस्सा बनता जा रहा है। योगी सरकार की दृष्टि से यह मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि पर्यटन और स्थानीय रोजगार का एक नया स्रोत भी है।


🔔 आस्था और बदलाव का संगम

मढ़िया महादेव मंदिर का यह रूप बदलते उत्तर प्रदेश और सजग होती आस्था का प्रतीक है। यहां की हर ईंट इतिहास बयां करती है, और हर शिवभक्त की श्रद्धा इस बात का प्रमाण है कि भले ही समय बदल जाए, लेकिन आस्था और परंपरा की जड़ें सदैव अडिग रहती हैं।


⚠️ (डिस्क्लेमर/अस्वीकरण)
यह लेख विभिन्न ऐतिहासिक दस्तावेज़ों, मंदिर प्रशासन, स्थानीय पुजारियों और सार्वजनिक स्रोतों से एकत्रित सूचनाओं पर आधारित है। हमारा उद्देश्य केवल जानकारी साझा करना है। कृपया इसे धार्मिक भावना और ऐतिहासिक ज्ञान के रूप में ग्रहण करें। आपके सुझाव या जानकारी info@tvtennetwork.com पर ईमेल या 7068666140 पर व्हाट्सएप कर भेजें, जिसे आपकी तस्वीर के साथ प्रकाशित किया जा सकता है। आपका सहयोग हमारी प्रेरणा है।

विमल "हिंदुस्तानी"
"लेखक ने दिल्ली एनसीआर के प्रमुख संस्थान से Mass Communication & Journalisam with Advertisment मे दो वर्ष अध्ययन किया है एवं पिछले दस वर्षों से मीडिया जगत से जुड़े हैं। उन्होंने विभिन्न न्यूज़ चैनलों में संवाददाता के रूप में कार्य किया है और एक समाचार पत्र का संपादन, प्रकाशन तथा प्रबंधन भी स्वयं किया है। लेखक की विशेषता यह है कि वे भीड़ के साथ चलने के बजाय ऐसे विषयों को उठाते हैं जो अक्सर अनछुए रह जाते हैं। उनका उद्देश्य लेखनी के माध्यम से भ्रम नहीं, बल्कि ‘ब्रह्म’ – यानि सत्य, सार और सच्चाई – को प्रस्तुत करना है।"