CISF की इमरोज़ ने दिखाया दम, भारत को दिलाया स्वर्ण
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Jhansi News : इमरोज़ खान ने वर्ल्ड पुलिस गेम्स में दिलाया भारत को स्वर्ण पदक , डॉक्टर संदीप ने किया सम्मानित

Jhansi News : 🌟 झाँसी से अमेरिका तक की स्वर्णिम यात्रा

झाँसी — वीरांगना लक्ष्मीबाई की धरती पर जन्मी और पलकर बड़ी हुई इमरोज़ खान ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया कि यदि हौसले बुलंद हों, तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं। अमेरिका के बर्मिंघम में आयोजित वर्ल्ड पुलिस गेम्स 2025 में उन्होंने 70 किलोग्राम वेट कैटेगरी की बॉक्सिंग प्रतियोगिता में ब्राज़ील की मुक्केबाज़ को सेमीफाइनल में और अमेरिका की अनुभवी बॉक्सर जेनेट जॉनसन को फाइनल में हराकर स्वर्ण पदक अपने नाम किया।

🛡️ CISF में 14 वर्षों से सेवा कर रहीं इमरोज़

इमरोज़ खान पिछले 14 वर्षों से CISF (केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल) में सहायक उप निरीक्षक (ASI) के पद पर कार्यरत हैं। वर्तमान में वे हरिद्वार में तैनात हैं और अपनी ड्यूटी के साथ-साथ अपने खेल अभ्यास को भी पूरी निष्ठा के साथ निभाती हैं।


🥊 झांसी से शुरू हुआ इमरोज़ का सफर

इमरोज़ की बॉक्सिंग की यात्रा झांसी से शुरू हुई थी। शुरुआती दिनों में साधनों की कमी, आर्थिक चुनौतियाँ और प्रशिक्षण सुविधाओं की सीमाएं होने के बावजूद इमरोज़ ने अपने जुनून से कभी समझौता नहीं किया। उन्होंने रोहतक, बेंगलुरु और बाद में इंडिया कैंप में खुद को निखारा और वहां से उनका चयन अंतर्राष्ट्रीय स्तर के लिए हुआ।

🎯 मुख्य पड़ाव:

  • झांसी से बॉक्सिंग की शुरुआत

  • रोहतक और बेंगलुरु में प्रशिक्षण

  • इंडिया कैंप में प्रदर्शन

  • वर्ल्ड पुलिस गेम्स में भारत का प्रतिनिधित्व


🎉 भव्य स्वागत और सम्मान

अमेरिका से लौटने के बाद झाँसी आगमन पर इमरोज़ खान का भव्य स्वागत किया गया। संघर्ष सेवा समिति कार्यालय में उनका तिलक, माल्यार्पण और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मान किया गया। कार्यक्रम में शहर के गणमान्य लोग और खेलप्रेमी भारी संख्या में उपस्थित रहे।

🗣️ इमरोज़ का भावुक संदेश: “सपनों में परिवार की आस्था सबसे बड़ी ताक़त होती है”

सम्मान समारोह के दौरान इमरोज़ खान ने मीडिया और उपस्थित जनसमूह से संवाद करते हुए बताया कि—

“मेरी यह सफलता मेरे परिवार के सहयोग के बिना संभव नहीं थी। मेरे परिवार के अधिकतर सदस्य स्वयं भी विभिन्न स्तरों पर बॉक्सिंग में हिस्सा ले चुके हैं, जिससे मुझे हमेशा प्रेरणा मिलती रही। मेरी इस जीत का सम्पूर्ण श्रेय मेरे माता-पिता को जाता है।”

उन्होंने यह भी कहा कि:

“हर माता-पिता को अपने बच्चों की रुचि और योग्यता को समझकर उन्हें उसी दिशा में बढ़ने का अवसर देना चाहिए। अक्सर देखा जाता है कि माता-पिता अपने अधूरे सपनों को बच्चों के माध्यम से पूरा करना चाहते हैं और उन्हें उनकी रुचि से बिल्कुल विपरीत क्षेत्रों में धकेल देते हैं। इसका असर बच्चों के आत्मविश्वास और प्रदर्शन पर पड़ता है। अगर उन्हें सही समय पर प्रोत्साहन मिले, तो वे चमत्कार कर सकते हैं।”


🗣️ संघर्ष सेवा समिति का संदेश

इस अवसर पर डॉ. संदीप ने कहा:

“झांसी की बेटियाँ निरंतर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने प्रदर्शन से जिले का नाम रोशन कर रही हैं। शैली सिंह के बाद अब इमरोज़ खान और आगे जिया यादव भी तैराकी में बहरीन में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी। हमारा संगठन भी खेलों में युवाओं को मंच देने हेतु लगातार प्रयास कर रहा है।”


झांसी की महिला बॉक्सर का अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवा

👨‍👩‍👧‍👦 परिवार और समिति सदस्य

परिवारजन:

  • माता: शबमन बेगम

  • पिता: मोहम्मद इशाद

  • भाई: फैजान खान

  • चाचा: हसीन अहमद

  • मामा: मोहम्मद अवरोर

संघर्ष सेवा समिति से जुड़े प्रमुख लोग:
सूरज वर्मा, नवीन गुप्ता, अजय गुप्ता, रविंद्र सिंह, मास्टर मुन्नालाल, बसंत गुप्ता, लवशिष, लविश अरोरा, अरुण पांचाल, दीक्षा साहू, सुशांत गेडा, महेंद्र रायकवार, राहुल रायकवार, राजू सेन, राकेश अहिरवार, आशीष विश्वकर्मा आदि।

विमल "हिंदुस्तानी"
"लेखक ने दिल्ली एनसीआर के प्रमुख संस्थान से Mass Communication & Journalisam with Advertisment मे दो वर्ष अध्ययन किया है एवं पिछले दस वर्षों से मीडिया जगत से जुड़े हैं। उन्होंने विभिन्न न्यूज़ चैनलों में संवाददाता के रूप में कार्य किया है और एक समाचार पत्र का संपादन, प्रकाशन तथा प्रबंधन भी स्वयं किया है। लेखक की विशेषता यह है कि वे भीड़ के साथ चलने के बजाय ऐसे विषयों को उठाते हैं जो अक्सर अनछुए रह जाते हैं। उनका उद्देश्य लेखनी के माध्यम से भ्रम नहीं, बल्कि ‘ब्रह्म’ – यानि सत्य, सार और सच्चाई – को प्रस्तुत करना है।"