भारतीय इतिहास में 5 जुलाई का महत्व:
🔹 1. स्वामी विवेकानंद की ऐतिहासिक भारत वापसी (1897)
5 जुलाई 1897 को स्वामी विवेकानंद अमेरिका और यूरोप की ऐतिहासिक यात्रा के बाद भारत लौटे थे। 1893 में शिकागो धर्म संसद में दिए गए उनके भाषण ने भारत की आध्यात्मिक छवि को विश्व स्तर पर पहचान दिलाई। उनकी वापसी पर कोलकाता में भव्य स्वागत हुआ और उन्होंने देशवासियों से आत्मगौरव, राष्ट्रप्रेम और आध्यात्मिक जागरण का आह्वान किया। यह दिन आध्यात्मिक पुनर्जागरण का प्रतीक माना जाता है।
🔹 2. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का स्थापना वर्ष स्मरण (1885)
हालाँकि कांग्रेस की स्थापना 28 दिसंबर 1885 को हुई थी, लेकिन 5 जुलाई 1885 को भारतीय राजनैतिक हलचलों ने नई दिशा लेना शुरू की थी। ए. ओ. ह्यूम जैसे अंग्रेज अधिकारियों ने राजनीतिक संवाद की पहल इसी दौर में की थी। इस दिन को स्वतंत्रता संग्राम के प्रारंभिक बौद्धिक आंदोलन के रूप में देखा जा सकता है।
🔹 3. रामेश्वरम से धनुषकोडी रेल मार्ग पर विनाशकारी चक्रवात स्मरण (1964)
5 जुलाई 1964 को धनुषकोडी और रामेश्वरम के बीच विनाशकारी चक्रवात की यादें आज भी ताजा हैं। इस चक्रवात ने रेलवे पुल और शहर को पूरी तरह से तबाह कर दिया था। यह भारत के इतिहास की सबसे भीषण प्राकृतिक आपदाओं में से एक थी। इस घटना ने उस क्षेत्र के सामाजिक और आर्थिक ढांचे को गहराई से प्रभावित किया।
🎉 आज जन्मे प्रसिद्ध व्यक्ति:
👤 1. ग़ुलाम नबी आज़ाद (1949)
ग़ुलाम नबी आज़ाद, एक अनुभवी भारतीय राजनेता और कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता का जन्म 5 जुलाई 1949 को हुआ था। वे जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और कई केंद्रीय मंत्रालयों का नेतृत्व कर चुके हैं। आज के दिन उनका जन्म भारत की राजनीति में एक महत्वपूर्ण योगदान का संकेतक है।
👤 2. राम नाईक (1934)
राम नाईक, भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल, का भी आज ही के दिन जन्म हुआ था। वे कई बार संसद सदस्य रहे और पेट्रोलियम मंत्री जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके हैं।
🕊️ आज का पुण्य स्मरण (निधन दिवस):
🕯️ 1. अर्जुन सिंह (2011)
अर्जुन सिंह, पूर्व मानव संसाधन मंत्री और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे, का निधन 5 जुलाई 2011 को हुआ। वे शिक्षा नीतियों में बदलाव लाने और आरक्षण नीति पर अहम फैसलों के लिए जाने जाते हैं।
और पढ़िये – सेहत से जुड़ी बड़ी खबरें
📚 निष्कर्ष:
5 जुलाई का दिन भारतीय इतिहास के विविध पहलुओं को छूता है — आध्यात्मिक जागरण, राजनीतिक संवाद, प्राकृतिक आपदा और प्रभावशाली व्यक्तित्वों का जन्म और निधन। यह दिन हमें न केवल अतीत से जुड़ने का अवसर देता है, बल्कि हमें यह सोचने पर भी विवश करता है कि हम इन घटनाओं से क्या सीख सकते हैं।
🧾 Disclaimer (भारतीय इतिहास श्रेणी हेतु विशेष):
(डिस्क्लेमर/अस्वीकरण) यह लेख ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित है और विभिन्न सरकारी दस्तावेजों, पुस्तकों और ऐतिहासिक अभिलेखों के अध्ययन के आधार पर लिखा गया है। तथ्यों की शुद्धता हेतु सावधानी बरती गई है, फिर भी किसी त्रुटि के लिए लेखक या प्रकाशक जिम्मेदार नहीं है। जानकारी को संदर्भ सामग्री के रूप में लें। अपने शोध के अनुसार इसकी पुष्टि करें।